Abhishek Singh Suryavanshi

Abhishek Singh Suryavanshi Lives in Bengaluru, Karnataka, India

poet,writer,orator and engineer

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         *मीरा की आश*
बनवारी रे मेरे नैनन को,
आश लगी है तेरे दर्शन को।
आ जाओ इस सावन को,
दरश दिखाओ अभागन को।।
                      कब से बैठी हूं तेरे राहों में,
                       कब बैठूंगी तेरे छाहों में।
                       बनवारी रे मेरे नैनन को,
                        आश लगी है तेरे दर्शन को।।
आ जाओ फिर मधुबन में,
जान आए इन कलियां को।
तेरे प्रेम की में प्यासी हुं,
तेरे शरणो की दासी हूं।।
                             उदासी मिटाओ मनभावन,
                              दरश दिखाओ मनभावन।
                              बनवारी रे मेरे नैनन को,
                              आश लगी है तेरे दर्शन को।।
रास रचाओ हे नतनागर,
भर दो प्रेम की गागर।
तेरे बिन गईया शोर करे,
नैनन वृष्टि घनघोर करे।।
                              बनवारी रे मेरे नैनन को,
                               आश लगी है तेरे दर्शन को,
मेरा मन मेरे पास नहीं,
अब जीने की आश नहीं।
सबकुछ है पर तुम ही नहीं,
अब मधुबन में रास नहीं।।
                         तरसे मोर जिह्वा चैनन को,
                         भाग जगे कब नैनन को।
                          आश लगी है मनभावन,
                          गुजरे ना अबकी सावन।।
अपना तन मन वारु तुझे,
पास बिठा निहारू तुझे।
तुम आ जाओ सावन को,
ताकि दिल की प्यास बूझे।।

©Abhishek Singh Suryavanshi

*मीरा की आश* बनवारी रे मेरे नैनन को, आश लगी है तेरे दर्शन को। आ जाओ इस सावन को, दरश दिखाओ अभागन को।। कब से बैठी हूं तेरे राहों में, कब बैठूंगी तेरे छाहों में। बनवारी रे मेरे नैनन को, आश लगी है तेरे दर्शन को।। आ जाओ फिर मधुबन में, जान आए इन कलियां को। तेरे प्रेम की में प्यासी हुं, तेरे शरणो की दासी हूं।। उदासी मिटाओ मनभावन, दरश दिखाओ मनभावन। बनवारी रे मेरे नैनन को, आश लगी है तेरे दर्शन को।। रास रचाओ हे नतनागर, भर दो प्रेम की गागर। तेरे बिन गईया शोर करे, नैनन वृष्टि घनघोर करे।। बनवारी रे मेरे नैनन को, आश लगी है तेरे दर्शन को, मेरा मन मेरे पास नहीं, अब जीने की आश नहीं। सबकुछ है पर तुम ही नहीं, अब मधुबन में रास नहीं।। तरसे मोर जिह्वा चैनन को, भाग जगे कब नैनन को। आश लगी है मनभावन, गुजरे ना अबकी सावन।। अपना तन मन वारु तुझे, पास बिठा निहारू तुझे। तुम आ जाओ सावन को, ताकि दिल की प्यास बूझे।। ©Abhishek Singh Suryavanshi

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अभी है सूरज उरूज़ पे तो चढ़े जा रहे हो सोपान पे जनाब, क्या होगा जब गिरोगे धराम से? ©Abhishek Singh Suryavanshi

#Sunrise  अभी है सूरज उरूज़ पे तो चढ़े जा रहे हो सोपान पे जनाब, क्या होगा जब गिरोगे धराम से?

©Abhishek Singh Suryavanshi

#Sunrise

12 Love

यूं ही दिल में ख्याल आया है, लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की। तन्हा मन बड़ी बारीकी से रहगुजर होता है, भला साथी नहीं कोई इस खलीसी की।। यूं तो हमसफर मिलते हैं बहुत इस सफर में, पर हर कोई तुझ सा अदावतगार नहीं मिलता। मिलते हैं कई जंगजू इस जंग ए मैदान में, पर सब से वो तुझ सा एतवार नहीं मिलता।। यूं ही दिल में ख्याल आया है, लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की। बड़ा जाहिल सा है एहतराम मेरा। सजदा भी करता है गैरों का, मगर शागिर्द ए शोहबत से भी है डरता । अब हलचल सी नहीं उठती दिल ए जमजम में, की रूह ए रुखसत से भी है डरता।। दरख़्त पुराना हो तो पत्ते भी इनायतदार नहीं होते। हो अगर फर्श पे, अपने भी जमानतदार नहीं होते।। कौन सोता है रातों को वर्जिश ले कर, कि हिफाजतदारो के भी हफाजतगार नहीं होते।। यूं ही दिल में ख्याल आया है, लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की।। ©Abhishek Singh Suryavanshi

#boat  यूं ही दिल में ख्याल आया है,
लिख दूं कहानी  इस मुफलिसी की।
तन्हा मन बड़ी बारीकी से रहगुजर होता है,
भला साथी नहीं कोई इस खलीसी की।।
यूं तो हमसफर मिलते हैं बहुत इस सफर में,
पर हर कोई तुझ सा अदावतगार नहीं मिलता।
मिलते हैं कई जंगजू इस जंग ए मैदान में,
पर सब से वो तुझ सा एतवार नहीं मिलता।।
यूं ही दिल में ख्याल आया है,
लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की।
बड़ा जाहिल सा है एहतराम मेरा।
सजदा भी करता है गैरों का,
मगर शागिर्द ए शोहबत से भी है डरता ।
अब हलचल सी नहीं उठती दिल ए जमजम में,
की रूह ए रुखसत से भी है डरता।।
दरख़्त पुराना हो तो पत्ते भी इनायतदार नहीं होते।
हो अगर फर्श पे, अपने भी जमानतदार नहीं होते।।
कौन सोता है रातों को वर्जिश ले कर,
कि हिफाजतदारो के भी हफाजतगार नहीं होते।।
यूं ही दिल में ख्याल आया है,
लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की।।

©Abhishek Singh Suryavanshi

#boat

16 Love

 यूं ही दिल में ख्याल आया है,
लिख दूं कहानी  इस मुफलिसी की।
तन्हा मन बड़ी बारीकी से रहगुजर होता है,
भला साथी नहीं कोई इस खलीसी की।।
यूं तो हमसफर मिलते हैं बहुत इस सफर में,
पर हर कोई तुझ सा अदावतगार नहीं मिलता।
मिलते हैं कई जंगजू इस जंग ए मैदान में,
पर सब से वो तुझ सा एतवार नहीं मिलता।।
यूं ही दिल में ख्याल आया है,
लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की।
बड़ा जाहिल सा है एहतराम मेरा।
सजदा भी करता है गैरों का,
मगर शागिर्द ए शोहबत से भी है डरता ।
अब हलचल सी नहीं उठती दिल ए जमजम में,
की रूह ए रुखसत से भी है डरता।।
दरख़्त पुराना हो तो पत्ते भी इनायतदार नहीं होते।
हो अगर फर्श पे, अपने भी जमानतदार नहीं होते।।
कौन सोता है रातों को वर्जिश ले कर,
कि हिफाजतदारो के भी हफाजतगार नहीं होते।।
यूं ही दिल में ख्याल आया है,
लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की।।

©Abhishek Singh Suryavanshi

यूं ही दिल में ख्याल आया है, लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की। तन्हा मन बड़ी बारीकी से रहगुजर होता है, भला साथी नहीं कोई इस खलीसी की।। यूं तो हमसफर मिलते हैं बहुत इस सफर में, पर हर कोई तुझ सा अदावतगार नहीं मिलता। मिलते हैं कई जंगजू इस जंग ए मैदान में, पर सब से वो तुझ सा एतवार नहीं मिलता।। यूं ही दिल में ख्याल आया है, लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की। बड़ा जाहिल सा है एहतराम मेरा। सजदा भी करता है गैरों का, मगर शागिर्द ए शोहबत से भी है डरता । अब हलचल सी नहीं उठती दिल ए जमजम में, की रूह ए रुखसत से भी है डरता।। दरख़्त पुराना हो तो पत्ते भी इनायतदार नहीं होते। हो अगर फर्श पे, अपने भी जमानतदार नहीं होते।। कौन सोता है रातों को वर्जिश ले कर, कि हिफाजतदारो के भी हफाजतगार नहीं होते।। यूं ही दिल में ख्याल आया है, लिख दूं कहानी इस मुफलिसी की।। ©Abhishek Singh Suryavanshi

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Your destiny is already defined.The only thing lies between you and your destination is 'TIME'. ©Abhishek Singh Suryavanshi

 Your destiny is already defined.The only thing lies between you and your destination is 'TIME'.

©Abhishek Singh Suryavanshi

#Life

9 Love

just fight for the place where you want to reach. just fight for what you deserve. just fight for what you want. just fight for your progress. just fight for your patience. just fight for your growth. just fight for your rights. just fight for your effort. just fight for your peace. just fight for your time. just fight! just fight! ©Abhishek Singh Suryavanshi

#Holi  just fight for the place where you want to reach.
just fight for what you deserve.
just fight for what you want.
just fight for your progress.
just fight for your patience.
just fight for your growth.
just fight for your rights.
just fight for your effort.
just fight for your peace.
just fight for your time.

just fight! just fight!

©Abhishek Singh Suryavanshi

# #Holi

7 Love

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