दोस्त आज से तुमको ही बेटे का फर्ज है निभाना,
मेरे बाद मेरे माँ को है संभाल कर रखना ।
आज जिंदगी की सबसे बड़ी तैयारी है करना,
माँ भारती का कर्ज है उतारना।
छोटकी के कन्यादान तुम्ही को है करना,
बापू के कंधे की सहारा तुम्हीं को है बनना।
मुझे इसबार माफ़ कर देना माँ
नहीं निभा पाया तेरा फर्ज मैं ।
माँ से कहना, एक माँ को छोड़कर दूसरी में समा गया,
वतन के रास्ते वतन को भा गया ।
एक हाथ में था माँ का कर्ज,
तो दूसरी में देश का फर्ज ।
बापू आपने शेर को था जन्म दिया,
जिन्होंने अकेले ही दस-दस का संहार किया।
इतना ताकत कहाँ था दुश्मनों के बाजुओं में,
जो हिला सके फौलाद-सी चट्टानों को।
हम तो जीतते ही है बाहर के हरामखोरो से,
कब तक हारते रहेंगे देश के नमक हरामो से।
क्या कभी नही ऐसी नेतृत्व आएगी,
जिससे देश की तकदीर बदल जायेगी ।
✍️✍️✍️Maligram Yadav
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