गुस्ताखियां

गुस्ताखियां Lives in Bareilly, Uttar Pradesh, India

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I regret ज़िस्म की गिरवीं इमारत रखी है, लहू से ऐसे भी इबारत लिखी है। वो जिस घर का बँटबारा कर रहें हैं, हर ईंट में पसीने की सूरत दिखी है।

 I regret ज़िस्म  की  गिरवीं  इमारत रखी है,
लहू  से  ऐसे भी  इबारत  लिखी है।

वो जिस घर का बँटबारा कर रहें हैं,
हर ईंट में पसीने की सूरत दिखी है।

I regret ज़िस्म की गिरवीं इमारत रखी है, लहू से ऐसे भी इबारत लिखी है। वो जिस घर का बँटबारा कर रहें हैं, हर ईंट में पसीने की सूरत दिखी है।

2 Love

यह जो तासीर है,लबों पे,वो कमाल की है, बात भी सवाल तो कभो बे-सवाल की है। नज़र मिलाने की औकाद तो नहीं फिर भी, दीदार हो जाये,हुस्न का इतनी मजाल की है।

 यह जो तासीर है,लबों  पे,वो कमाल  की है, 
बात भी सवाल  तो कभो  बे-सवाल  की है। 

नज़र मिलाने  की औकाद  तो नहीं फिर भी, 
दीदार हो जाये,हुस्न का इतनी मजाल की है।

यह जो तासीर है,लबों पे,वो कमाल की है, बात भी सवाल तो कभो बे-सवाल की है। नज़र मिलाने की औकाद तो नहीं फिर भी, दीदार हो जाये,हुस्न का इतनी मजाल की है।

2 Love

कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है कुछ इस तरह अपनो से दूर हो जाता हूँ, खुद के गुमां में,बदस्तूर कहीं खो जाता हूँ।

 कौन समझे ये कैसी रात है  शायद कोई राज़ की बात है कुछ इस  तरह अपनो से  दूर हो जाता हूँ,
खुद के गुमां में,बदस्तूर कहीं खो जाता हूँ।

कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है कुछ इस तरह अपनो से दूर हो जाता हूँ, खुद के गुमां में,बदस्तूर कहीं खो जाता हूँ।

13 Love

आज हवाएं, तूफांन से रूबरू हो जाएंगी, कश्तियों की सभी बलाएँ दूर हो जाएंगी।

 आज  हवाएं, तूफांन  से  रूबरू  हो जाएंगी,
कश्तियों  की  सभी  बलाएँ  दूर  हो जाएंगी।

आज हवाएं, तूफांन से रूबरू हो जाएंगी, कश्तियों की सभी बलाएँ दूर हो जाएंगी।

3 Love

हसरतें अधूरी तो ख़्वाब भी भरपूर निकले, सरे गम मुस्कराना,कितने मजबूर निकले। अब फासलों पर भी भरोसा करें तो कैसे, जो पास थे दिलके वह बहुत दूर निकले। अब यकीं पर भी यकीं होता नहीं ,उनके, फैसले कत्ले दिल के मेरे सब मंज़ूर निकले। वह क़ातिल हैं, ज़माने को ख़बर थी,,मगर, पर हमीं पाक-ए-नज़र दिले दस्तूर निकले।

 हसरतें अधूरी तो ख़्वाब भी भरपूर निकले,
सरे गम  मुस्कराना,कितने मजबूर निकले।

अब फासलों  पर भी भरोसा  करें तो कैसे,
जो  पास  थे दिलके  वह बहुत दूर निकले।

अब  यकीं  पर  भी यकीं होता नहीं ,उनके,
फैसले कत्ले दिल के मेरे सब मंज़ूर निकले।

वह  क़ातिल हैं, ज़माने को ख़बर थी,,मगर,
पर हमीं  पाक-ए-नज़र दिले दस्तूर निकले।

हसरतें अधूरी तो ख़्वाब भी भरपूर निकले, सरे गम मुस्कराना,कितने मजबूर निकले। अब फासलों पर भी भरोसा करें तो कैसे, जो पास थे दिलके वह बहुत दूर निकले। अब यकीं पर भी यकीं होता नहीं ,उनके, फैसले कत्ले दिल के मेरे सब मंज़ूर निकले। वह क़ातिल हैं, ज़माने को ख़बर थी,,मगर, पर हमीं पाक-ए-नज़र दिले दस्तूर निकले।

2 Love

कुछ नफ़रतें तो कुछ प्यार अच्छा लगा, आंखों को तेरा इंतज़ार झूठ बोलकर मोहब्बत करने बाले सच कहूँ तो तेरा एतबार अच्छा लगा।

 कुछ नफ़रतें तो कुछ प्यार अच्छा लगा,
आंखों  को तेरा  इंतज़ार  

झूठ बोलकर मोहब्बत करने बाले
सच कहूँ तो तेरा एतबार अच्छा लगा।

कुछ नफ़रतें तो कुछ प्यार अच्छा लगा, आंखों को तेरा इंतज़ार झूठ बोलकर मोहब्बत करने बाले सच कहूँ तो तेरा एतबार अच्छा लगा।

2 Love

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