है मोहब्बत तो पास आ इज़हार कर,
दूर से ही ना अपने कातिल निगाहों से वार कर
हमें भी तेरे मोहब्बत का एतबार हो जाएं,
तुझे बाहों में भर लूं और बेइंतहा प्यार हो जाए।
तुम होकर जो मेरी गली से जाने लगी हो,
मेरे जज्बातों को और बढ़ाने लगे हो, चाहते हैं इजहार कर दे ही अपनी मोहब्बत का, बस डरते हैं कि तुम कहीं और ही तो नहीं दिल लगाने लगे हो।
हर सवेरे तेरी आने की राह निहारते हैं,
अपने आप को सिर्फ तेरे लिए ही सवारते हैं, सामने आने पर नजर भी नहीं उठती तेरी ओर,
लेकिन फिर भी तेरी एक झलक से ही अपनी पूरी दिन- रात गुजारते हैं
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