एक गुमनाम मुशाफिर

एक गुमनाम मुशाफिर

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#कविता #Doobey  प्रेम, शब्द, मुस्कुराहट, दर्पण, कोमलता, अनुभूति,  इंद्रधनुष के सातों रंग, सूरज की रोशनी, बारिश की बूंदे, और सृजन के सारे आयाम...
तुम्हारी इन नर्म हथेलियों में सबकुछ है। 💚💚💚

©एक गुमनाम मुशाफिर

#Doobey

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तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आई थी और चाँद भी था, सांस वैसे ही चलती है हमेशा की तरह, आँख वैसे ही झपकती है हमेशा की तरह, थोड़ी सी भीगी हुई रहती है और कुछ भी नहीं, होंठ खुश्क होते है, और प्यास भी लगती है, आज कल शाम ही से सर्द हवा चलती है, बात करने से धुआ उठता है जो दिल का नहीं, तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं रात भी आई थी और चाँद भी था, हाँ मगर नींद नहीं ... नींद नहीं..... ©एक गुमनाम मुशाफिर

#विचार #hands  तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आई थी और चाँद भी था, सांस वैसे ही चलती है हमेशा की तरह, आँख वैसे ही झपकती है हमेशा की तरह, थोड़ी सी भीगी हुई रहती है और कुछ भी नहीं, होंठ खुश्क होते है, और प्यास भी लगती है, आज कल शाम ही से सर्द हवा चलती है, बात करने से धुआ उठता है जो दिल का नहीं, तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं रात भी आई थी और चाँद भी था, हाँ मगर नींद नहीं ... नींद नहीं.....

©एक गुमनाम मुशाफिर

#hands

13 Love

बहुत मजबूत हो जाता है वो इंसान, जिसने अपने हाथों से स्वयं के आंसू पोंछे हों ।🙂 ©एक गुमनाम मुशाफिर

#विचार #Ambitions  बहुत मजबूत हो जाता है वो इंसान,
जिसने अपने हाथों से स्वयं के आंसू पोंछे हों ।🙂

©एक गुमनाम मुशाफिर

#Ambitions

13 Love

सब अपनी इंस्टाग्राम id साझा करें...!!🙏🙏 ©एक गुमनाम मुशाफिर

#विचार #shabd  सब अपनी इंस्टाग्राम id साझा करें...!!🙏🙏

©एक गुमनाम मुशाफिर

#shabd

13 Love

सुनो... आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है लेकिन क्या करूँ..? तुम्हारे साथ बिताए पल को याद करने के अलावा और कोई विकल्प नही है मेरे पास। काश... तुम मुझे अपनी बाहों में लेकर धीरे से कहती "डरते क्यों हो पागल मैं हूँ ना"। खैर... ©एक गुमनाम मुशाफिर

#कविता #Kundan  सुनो...
आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है लेकिन क्या करूँ..? तुम्हारे साथ बिताए पल को याद करने के अलावा और कोई विकल्प नही है मेरे पास। काश... तुम मुझे अपनी बाहों में लेकर धीरे से कहती "डरते क्यों हो पागल मैं हूँ ना"।
खैर...

©एक गुमनाम मुशाफिर

#Kundan&Zoya

16 Love

#शायरी #mohabbat  मै किसी दिन तुम्हारे वियोग मे

कांच कि तरह विखर रहा हूँ

©एक गुमनाम मुशाफिर

#mohabbat

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