Deepali Tiwari

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ईजा केण लिजी एक शब्द पर पुर संसार छू ईजा, यो दुनी में ईश्वरैक अवतार छू त्याग और ममतैक तौ भली मूर्ति छू घरैक सबन रिश्त ईजा ले जोड़नी छू ईजा आँचलैक कै सानी नी छू ईजा जैस कोई ले प्राणी नी छू स्वरचित दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

#कविता #माँ #ईजा  ईजा

केण लिजी एक शब्द 
पर पुर संसार छू
ईजा, यो दुनी में
ईश्वरैक अवतार छू

त्याग और ममतैक
तौ भली मूर्ति छू
घरैक सबन रिश्त
ईजा ले जोड़नी छू

ईजा आँचलैक
कै सानी नी छू
ईजा जैस कोई ले
प्राणी नी छू

स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
#खूबसूरत

ग़ज़ल ख़ूबसूरत हो, हंसी बारिश, के मौसम की तरह, ज़ुल्फ़ पर बूंदे ये पानी की,हैं शबनम की तरह। लग नज़र जाये नहीं, तुमको ज़माने की कहीं, घूरती हैं कुछ निगाहें जान, दुश्मन की तरह। चीर दिल मेरा गयी, तीरे नज़र तेरी सनम, मुस्कुराहट है बनी तेरी ये, मरहम की तरह। उड़ रहा आँचल संभालो, हवाओं से ज़रा, दिनदहाड़े तुम नहीं निकलो यू दरहम की तरह। दिल के दरिया में लगी उठने हैं लहरें इश्क़ की, 'दीप' राहों में खड़ा है, ख़ैर मकदम की तरह। जितेंदर पाल सिंह ख़ैर मकदम-- स्वागत दरहम-- अस्तव्यस्त

 ग़ज़ल

ख़ूबसूरत हो, हंसी बारिश, के मौसम की तरह,
ज़ुल्फ़ पर बूंदे ये पानी की,हैं शबनम की तरह।

लग  नज़र  जाये नहीं, तुमको ज़माने की कहीं,
घूरती  हैं  कुछ  निगाहें  जान, दुश्मन की तरह।

चीर  दिल  मेरा  गयी,  तीरे  नज़र  तेरी  सनम,
मुस्कुराहट  है  बनी  तेरी  ये, मरहम  की तरह।

उड़  रहा  आँचल  संभालो,  हवाओं  से  ज़रा,
दिनदहाड़े तुम नहीं निकलो यू दरहम की तरह।

दिल के दरिया में लगी उठने हैं लहरें इश्क़ की,
'दीप' राहों में खड़ा है, ख़ैर मकदम  की  तरह।

जितेंदर पाल सिंह

ख़ैर मकदम-- स्वागत
दरहम-- अस्तव्यस्त

sahyari

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