Virendra Singh Diwakar

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20/01/1999

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White सोचता हूं मैं भी अपनी कहानी कहूं पर किससे कहूं..........? 🤔 VS.Diwakar ©Virendra Singh Diwakar

#election_results #चुनाव  White सोचता हूं मैं भी अपनी कहानी कहूं
पर किससे कहूं..........?
🤔 VS.Diwakar

©Virendra Singh Diwakar

#election_results सोचता हूं मैं भी अपनी कहानी कहूं पर किससे कहूं..........? 🤔

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यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को मंदिर और रसोई में भी जाने को रोक लगाते हैं कुछ लोग पास में बैठने से भी मुँह बिगाड़ लेते है न जाने क्यों लोग इसे बीमारी समझते हैं *उसे दर्द से ही तो घरों में चिराग जलते है* यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है VS.Diwakar ©Virendra Singh Diwakar

#womenempowerment #कविता #Women_Special #Women  यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है

चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको
कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको

नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को
रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को

मंदिर और रसोई में भी जाने को रोक लगाते हैं 
कुछ लोग पास में बैठने से भी मुँह बिगाड़ लेते है






न जाने क्यों लोग इसे बीमारी समझते हैं
 *उसे दर्द से ही तो घरों में चिराग जलते है* 

यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है
VS.Diwakar

©Virendra Singh Diwakar

#Women #womenempowerment #Women_Special यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को

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जिम्मेदार नागरिक मैंने एक खत लिखा है सिर्फ तुम्हारे लिए मैं आशिक बना भी तो सिर्फ तुम्हारे लिए जो पहाड़ सा अडिग था वो भी झुक गया सिर्फ तुम्हारे लिए हर पल याद करते हैं तुम्हे अब यह दिल भी धड़कता तो सिर्फ तुम्हारे लिए चल रही है अब जो सांस मेरी वह भी सिर्फ तुम्हारे लिए VS.Diwakar ©Virendra Singh Diwakar

#कविता #PoetInYou  जिम्मेदार नागरिक मैंने एक खत लिखा है 
सिर्फ तुम्हारे लिए
मैं आशिक बना भी तो 
सिर्फ तुम्हारे लिए
जो पहाड़ सा अडिग था वो भी झुक गया
सिर्फ तुम्हारे लिए
हर पल याद करते हैं तुम्हे
अब यह दिल भी धड़कता तो 
सिर्फ तुम्हारे लिए
चल रही है अब जो सांस मेरी वह भी 
सिर्फ तुम्हारे लिए
VS.Diwakar

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#PoetInYou मैंने एक खत लिखा है सिर्फ तुम्हारे लिए मैं आशिक बना भी तो सिर्फ तुम्हारे लिए जो पहाड़ सा अडिग था वो भी झुक गया सिर्फ तुम्हारे लिए हर पल याद करते हैं तुम्हे अब यह दिल भी धड़कता तो

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मैं वो किताब हूं जिसे किसी ने पढ़ा नहीं जिसने पढ़ा उसने समझा नहीं ©Virendra Singh Diwakar

#जिसने #किताब #विचार #किसी #नहीं #समझा  मैं वो किताब हूं
जिसे किसी ने पढ़ा नहीं
जिसने पढ़ा उसने समझा नहीं

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प्यार और डिग्रियों से घर नही चलता है घर तो मजदूरियों से चलता है VS.Diwakar ©Virendra Singh Diwakar

#विचार #aditya  प्यार और डिग्रियों से घर नही चलता है
घर तो मजदूरियों से चलता है
VS.Diwakar

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#aditya&Geet प्यार और डिग्रियों से घर नही चलता है घर तो मजदूरियों से चलता है

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#विचार #devdas  मोहतरमा 
प्यार से घर नही चलता है
घर तो मजदूरियों से चलता है

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#devdas मोहतरमा प्यार से घर नही चलता है घर तो मजदूरियों से चलता है

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