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हम ने कब चाहा कि वो शख़्स हमारा हो जाए, इतना दिख जाए कि आँखों का गुज़ारा हो जाए, हम जिसे पास बिठा लें वो बिछड़ जाता है, तुम जिसे हाथ लगा दो वो तुम्हारा हो जाए, तुम को लगता है कि तुम जीत गए हो मुझ से, है यही बात तो फिर खेल दोबारा हो जाए, है मोहब्बत भी अजब तर्ज़-ए-तिजारत कि यहाँ, हर दुकाँ-दार ये चाहे कि ख़सारा हो जाए.. ©aanchal mishra
aanchal mishra
11 Love
साल के तीन सौ पैंसठ दिन में एक भी रात नहीं है उसकी, वो मुझे छोड़ दे और ख़ुश भी रहे इतनी औक़ात नहीं है उसकी..🍁 ©aanchal mishra
8 Love
ज़माना हमें बे-सहारा न समझे, ख़ुदा पर भरोसा गवारा न समझे, उसे कब मिला है जिसे भीड़ घेरे, उसे रब दिखा जो इजारा न समझे, किसी को मोहब्बत नहीं है वफ़ा से, मिरे हिज्र को तू गुज़ारा न समझे, जिसे मान कर ज़िंदगी जी रहे थे, वही मौत का था इशारा न समझे, बिछड़ना ज़रूरी नहीं था मगर तू, मोहब्बत नहीं है असारा न समझे, रहा है मुझे याद वो ज़िन्दगी भर, नफ़ा थी मोहब्बत ख़सारा न समझे.. ©aanchal mishra
दिल है क्यों बेक़रार समझा कर, बात इतनी तो यार समझा कर, बैठ जा आ के मेरे पहलू में, मेरे दिल की पुकार समझा कर, प्यार तो ख़ुद-ब-ख़ुद ही होता है, कौन करता है प्यार समझा कर, दूसरा दूर तक नहीं कोई, मैं हूँ तुझ पर निसार समझा कर, तू समझ ले मैं बोलती कम हूँ, एक बोलूँ हज़ार समझा कर, अब मेरे दिल की धड़कनों पे फ़क़त, है तेरा इख़्तियार समझा कर, फूल उसको समझ तू ऐ पागल, और दुनिया को ख़ार समझा कर.. ©aanchal mishra
9 Love
कोई सवाल न करना फ़क़त समझ लेना समझ सको जो सही से ये ख़त समझ लेना, जो गिर पड़े हैं कहीं जान ख़त के आखिर में, उन आँसुओं को मेरा दस्तख़त समझ लेना, कहीं जगह न मिले मेरे दिल में आ जाना, तू मेरी छत को भी अपनी ही छत समझ लेना, मैं अबकी बार भी तुमसे सही कहूँगा सब, तुम अब की बार भी मुझको ग़लत समझ लेना, बग़ैर लौ के दिया भी दिया नहीं रहता, सो वक़्त रहते मेरी अहमियत समझ लेना, तुझे मैं शेर सुनाता हूँ जो मुहब्बत के तू मेरी दोस्त इसे, इश्क़ मत समझ लेना। ©aanchal mishra
उसे तुम से मोहब्बत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना, ये बस दिल की शरारत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना, तुम्ही को देख कर वो मुस्कुराता है तो हैरत क्या, उसे हँसने की आदत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना, हुए बर्बाद तो अब आह-ओ-ज़ारी कर रहे हो तुम, कहा भी था सियासत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना, मैं तुझ को चाहता हूँ बात ये सच है मगर फिर भी, मुझे तेरी ज़रूरत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना ही, झुकी नज़रों से तकना और ख़मोशी से गुज़र जाना, मोहब्बत की रिवायत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना, किया करता हूँ मै उस की तारीफ़ें सबब ये है, वो मुझ से ख़ूबसूरत है ग़लत-फ़हमी में मत रहना.. ©aanchal mishra
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