ना ईंटों से, ना गारों से
ना केवल चार दीवारों से
घर बनता है घरवालों से
ना खिड़की, ना दरवाज़ों से
ना ऊंचे रोशनदानों से
घर बनता है घरवालों से
ना कुर्सी, मेज़, अखबारों से
ना छप्पन भोग पकवानों से
घर बनता है घरवालों से
ना छप्पर, टीन, तिरपालों से
ना महेंगे साज़ सामनों से
घर बनता है घरवालों से
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