Sawan Sharma

Sawan Sharma Lives in Barwani, Madhya Pradesh, India

music lover, narcissist, book lover, love to convert feelings into word

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#कविता

एक किनारे मैं खड़ा तुम खड़ी दूजे किनारे एक पुल बनाना है मुझे जो जोड़ दे दोनों किनारे .. जो कभी टूटे नहीं पुल वो ऐसा ठोस हो तय कर ले आसानी से

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#विचार

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#कविता  Jai shree ram घर घर नगर नगर
गली मोहल्ले चौराहे पर
गूंज रहा श्री राम नाम
दिल से होकर जुबानो पर

उत्सव जैसा लगता है
कितना प्यारा लगता है
हरे राम हरे कृष्ण
कानो में जो पड़ता है

रामलला के स्वागत में
भक्तिमय सब हो गया
मष्तिष्क से चित्त तक
सब प्रफुल्लित हो गया

राम कहीं गए नहीं
राम हमारे मन में है
जीव जंतु में है बसे
राम बसे कण कण में है ।

©Sawan Sharma

घर घर नगर नगर गली मोहल्ले चौराहे पर गूंज रहा श्री राम नाम दिल से होकर जुबानो पर उत्सव जैसा लगता है कितना प्यारा लगता है हरे राम हरे कृष्ण

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#विचार

मेरे घर के आँगन में हैं तुलसी का एक पौधा सुनो... रोज़ सवेरे उसकी पूजा करना स्वीकर कर लो ना

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कहूँ अपना या ना तुमको प्रिये कहू या प्रेयसी या बन जाऊँ अनजान कोई सोचू नहीं तुम को मैं अपना दुविधा भरे मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो साथ रहो तुम बन के संगिनी स्वप्न ऐसे सजा लूं क्या या जब आए स्वप्न ऐसा तब मैं नींद से उठ जाऊँ स्वप्न देखते मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो प्रार्थनाओं में हमेशा साथ तुम्हारा मांगता हूं आस करू मैं मिलने की या आस लगाना छोड़ दु आशावादी मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो । ©pen_of_sawan

#कविता  कहूँ अपना या ना तुमको
प्रिये कहू या प्रेयसी
या बन जाऊँ अनजान कोई 
सोचू नहीं तुम को मैं अपना
दुविधा भरे मन को मेरे 
तुम ही कुछ सुझाव दो

साथ रहो तुम बन के संगिनी
स्वप्न ऐसे सजा लूं क्या
या जब आए स्वप्न ऐसा 
तब मैं नींद से उठ जाऊँ 
स्वप्न देखते मन को मेरे 
तुम ही कुछ सुझाव दो

प्रार्थनाओं में हमेशा 
साथ तुम्हारा मांगता हूं 
आस करू मैं मिलने की 
या आस लगाना छोड़ दु 
आशावादी मन को मेरे 
तुम ही कुछ सुझाव दो ।

©pen_of_sawan

कहूँ अपना या ना तुमको प्रिये कहू या प्रेयसी या बन जाऊँ अनजान कोई सोचू नहीं तुम को मैं अपना दुविधा भरे मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो साथ रहो तुम बन के संगिनी

12 Love

प्रेम में इंसान बन जाता है कलाकार कहने लगता है शेर लिखने लगता है कविताएं कोई बन कर चित्रकार बनाने लगते है चित्र अपने प्रेयसी के कला से मिल जाती है पहचान हो जाता है नाम कभी मिल जाता है सम्मान कभी मिल जाता इनाम नहीं मिलता वो प्रेम जिस प्रेम में पड़कर पंक्तियां बुनी जाती है चित्र बनाए जाते हैं... ©pen_of_sawan

#कविता  प्रेम में इंसान
बन जाता है कलाकार
कहने लगता है शेर
लिखने लगता है कविताएं
कोई बन कर चित्रकार
बनाने लगते है चित्र
अपने प्रेयसी के
कला से मिल जाती है पहचान
हो जाता है नाम
कभी मिल जाता है सम्मान
कभी मिल जाता इनाम
नहीं मिलता वो प्रेम
जिस प्रेम में पड़कर 
पंक्तियां बुनी जाती है
चित्र बनाए जाते हैं...

©pen_of_sawan

प्रेम में इंसान बन जाता है कलाकार कहने लगता है शेर लिखने लगता है कविताएं कोई बन कर चित्रकार बनाने लगते है चित्र अपने प्रेयसी के कला से मिल जाती है पहचान

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