Vishnu trivedi

Vishnu trivedi Lives in Kanpur, Uttar Pradesh, India

वो मोहब्बत ही क्या जिससे दीवानगी न हो....✍️🔥😘❤️💔💔

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एक सच........❤️❤️

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मैं चाहता हूं कि तुम आओ मेरे उस कमरे में जहां कुछ सिगरेट के टुकड़े पड़े हैं जहां एक खाली बोतल पड़ी है जहां कुछ किताबे बिखरे हुए हैं एक लैपटॉप है एक चार्जर है मोबाइल में 4 परसेंट बैटरी है यह मेरी उंगलियों में फंसी आधी सिगरेट जो अभी भी जल रही है जिसका दुआ कमरे में हर चीज ओझल कर रहा है मैं चाहता हूं कि तुम आओ मेरे इस कमरे में। यह जो कुछ किताबें हैं जो मैंने आज ही पढ़ी है यह जो कुछ सिगरेट के टुकड़े हैं जिसे मैंने आधा पिया था और आधा जिया था इस बंद कमरे में जो बदबू है जो दुनिया की नजर में गंध है और मेरे नजर में खुशबू है मेरे मोबाइल की चार पर्सेंट बैटरी जो मुझसे बार-बार सवाल पूछती है कि मैं उसे अब किसके लिए चार्ज करू। पंडिताइन जो होना था वह हो गया जो कल होगा वह मैं नहीं जानता लेकिन इतना जरुर जानता हूं कि मेरी किताबों में मेरी कहानियों में तुम्हारा अस्तित्व उस माटी की तरह है जिस माटी में तुलसी पनपता है वह तुलसी जो पूरे घर को सुगंधित करता है लेकिन अपनी जड़ों में एक अजीब सा गीलापन मासूमियत और अपने जड़ों के गीलेपन से हल्का सा ऊपर अपने टहनियों में एक सूखापन सुर्ख हो चुके पत्तों को साथ लेकर वह नए पत्तों को जन्म देता है ठीक उसी तुलसी की माटी तरह हो,मैं चाहता हूं कि तुम इस कमरे में आओ। हर रात मेरे पास हजारों सवाल होते हैं लेकिन उन सवालों के जवाब देने वाला कोई नहीं मैं एक ऐसे भ्रम में रहता हूं जिस भ्रम का अंत बहुत भयानक है मैं टूट सकता था लेकिन मैंने टूटने से ज्यादा तुमसे मोहब्बत करना उचित समझा मैं मर सकता था लेकिन मैंने मरने से ज्यादा तुमसे मोहब्बत करने के लिए जीना बेहतर समझा मैं तुम्हें समझा सकता था लेकिन मैं तुम्हें समझाने से पहले खुद को समझने मैं जो समय दिया वह मुझे बेहतर लगता है पंडिताइन साला अब सीने में बाईं तरफ दर्द होता है कभी-कभी अकेलापन अपने साथ कई सवालों को लेकर आता है काश मेरे इस कमरे तुम एक बार आती काश...... #vishnu_trivedi_ 🤗✍️ © Vishnu trivedi

#vishnu_trivedi_  मैं चाहता हूं कि तुम आओ मेरे उस कमरे में जहां कुछ सिगरेट के टुकड़े पड़े हैं जहां एक खाली बोतल पड़ी है जहां कुछ किताबे बिखरे हुए हैं एक लैपटॉप है एक चार्जर है मोबाइल में 4 परसेंट बैटरी है यह मेरी उंगलियों में फंसी आधी सिगरेट जो अभी भी जल रही है जिसका दुआ कमरे में हर चीज ओझल कर रहा है मैं चाहता हूं कि तुम आओ मेरे इस कमरे में।

यह जो कुछ किताबें हैं जो मैंने आज ही पढ़ी है यह जो कुछ सिगरेट के टुकड़े हैं जिसे मैंने आधा पिया था और आधा जिया था इस बंद कमरे में जो बदबू है जो दुनिया की नजर में गंध है और मेरे नजर में खुशबू है मेरे मोबाइल की चार पर्सेंट बैटरी जो मुझसे बार-बार सवाल पूछती है कि मैं उसे अब किसके लिए चार्ज करू।

पंडिताइन जो होना था वह हो गया जो कल होगा वह मैं नहीं जानता लेकिन इतना जरुर जानता हूं कि मेरी किताबों में मेरी कहानियों में तुम्हारा अस्तित्व उस माटी की तरह है जिस माटी में तुलसी पनपता है वह तुलसी जो पूरे घर को सुगंधित करता है लेकिन अपनी जड़ों में एक अजीब सा गीलापन मासूमियत और अपने जड़ों के गीलेपन से हल्का सा ऊपर अपने टहनियों में एक सूखापन सुर्ख हो चुके पत्तों को साथ लेकर वह नए पत्तों को जन्म देता है ठीक उसी तुलसी की माटी तरह हो,मैं चाहता हूं कि तुम इस कमरे में आओ।

हर रात मेरे पास हजारों सवाल होते हैं लेकिन उन सवालों के जवाब देने वाला कोई नहीं मैं एक ऐसे भ्रम में रहता हूं जिस भ्रम का अंत बहुत भयानक है मैं टूट सकता था लेकिन मैंने टूटने से ज्यादा तुमसे मोहब्बत करना उचित समझा मैं मर सकता था लेकिन मैंने मरने से ज्यादा तुमसे मोहब्बत करने के लिए जीना बेहतर समझा मैं तुम्हें समझा सकता था लेकिन मैं तुम्हें समझाने से पहले खुद को समझने मैं जो समय दिया वह मुझे बेहतर लगता है

पंडिताइन साला अब सीने में बाईं तरफ दर्द होता है कभी-कभी अकेलापन अपने साथ कई सवालों को लेकर आता है काश मेरे इस कमरे तुम एक बार आती काश......
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© Vishnu trivedi

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