Pragya Amrit

Pragya Amrit Lives in Gorakhpur, Uttar Pradesh, India

I am a simple person with deep thoughts like an ocean ,i am eager to express it all through my emotional expressions,kindly cooperate...

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#शायरी #व्यथा  मुस्कान रहे तो नसीब में,
तस्वीरों में सब मुस्काते।
दिलबर रहे तो करीब में,
पीरों में वो कब हर्षाते।।
#शायरी #happypromiseday  जब मैं ही तुम बन जाउंगी,
जब तुम में मैं रम जाऊंगी।
तब याद कहाँ से आएगी,
परिपक्व प्रीत वहाँ छाएगी।
मुझे मैं में अपने समा लेना,
मेरे तुम को हम बना लेना।
ना याद तुम्हें कर पाऊंगी,
तुम्हें मैं ही समझ भुलाऊंगी।

©Pragya Amrit
#loveshayari #lalishq  मेरी जान है तू,
तुझ बिन जीना गंवारा नही।

मेरी अर्चन है तू,
तेरे आगे रब भी प्यारा नही 

मेरी धड़कन है तू,
खोना तुम्हें अब दुबारा नही।

वाह क्या साथी है तू,
जिसका कोई सहारा ही नही।।9

©Pragya Amrit

#lalishq सहारा ही नही.....

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#loveshayari #JodhaAkbar  सजन सुगंधित महक रहे हो।।

एहसासों में बहक रहे हो।
लीन से हम तुम्हें चूमा करते,
विहग से चित्त में चहक रहे हो।
तेरे मिलन से दूर कहाँ हम,
मूझमें ही खिल दहक रहे हो।

सजन सुगंधित महक रहे हो।।

रोम रोम में सिहरन बनकर,
नस नस में आकर्षण बनकर।
सजन प्राण बन धड़क रहे हो,
तभी तो इतना तड़प रहे हो।

सजन सुगंधित महक रहे हो।।

©Pragya Amrit

#JodhaAkbar सजन सुगंधित महक रहे हो...........

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ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है। इक नकाब बस यार है, अंदर पीर लहर दबाकर, होंठो पर हंसी सजाकर, जीवन खींचती पतवार है। ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है,।। मेरे चेहरे की रौनक, मेरे होंठो की चहक रहस्यों की कथाकार है ये सब इक नाटककार है ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है। दर्द को मुस्कान बनाकर, चित्रकारी की परत चढ़ाकर, ये ठगने में फनकार है। ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।। जो दिखे है मिथ्या सजकर, वो गुप्त द्वंद की झंकार है, मुस्कान समेटे रुदन स्वर, बस तस्वीर खींचना भार है। ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।। ©Pragya Amrit

#विचार  ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।
इक नकाब बस यार है,
अंदर पीर लहर दबाकर,
होंठो पर हंसी सजाकर,
जीवन खींचती पतवार है।
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है,।।

मेरे चेहरे की रौनक,
मेरे होंठो की चहक
रहस्यों की कथाकार है
ये सब इक नाटककार है
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।

दर्द को मुस्कान बनाकर,
चित्रकारी की परत चढ़ाकर,
ये ठगने में फनकार है।
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।।

जो दिखे है मिथ्या सजकर,
वो गुप्त द्वंद की झंकार है,
मुस्कान समेटे रुदन स्वर,
बस तस्वीर खींचना भार है।
ये जो मेरा स्त्री श्रृंगार है।।

©Pragya Amrit

स्त्री श्रृंगार

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जब पास न हो तो दूर सही, ©Pragya Amrit

 जब पास न हो तो दूर सही,

©Pragya Amrit

जब पास न हो तो दूर सही, ©Pragya Amrit

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