shivendra mishra aakash

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माँ तुम विश्व की अभिलाषा हो, शुभकामनाओ का आता सन्देश, पुलकित हो जाता चित्त रोम-रोम, जब तुम देती प्रेम का ज्ञानोपदेश। ©shivendra mishra aakash

#कविता #kavitarangmanch #MothersDay2021 #shivendra975  माँ तुम विश्व  की अभिलाषा हो,
शुभकामनाओ का आता सन्देश,
पुलकित हो जाता चित्त रोम-रोम,
जब तुम देती प्रेम का ज्ञानोपदेश।

©shivendra mishra aakash

माँ तुम विश्व की अभिलाषा हो, शुभकामनाओ का आता सन्देश, पुलकित हो जाता चित्त रोम-रोम, जब तुम देती प्रेम का ज्ञानोपदेश। @shivendramishraaakash #kavitarangmanch #shivendra975 #MothersDay2021

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#shivendramishraaakash #kavitarangmanch #hindipoetry #sacrifice

part2:- "त्याग के लिए प्यार कमजोर पड़ रहा"//tyag ke liye pyar kamjor pad raha. #kavitarangmanch #shivendramishraaakash #sacrifice #poem #hindipoetry #geet

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"त्याग":- आप सभी अपने संदर्भ के अनुसार त्याग को ले सकते हैं। वास्तव में यह त्याग दो प्रेमियों के बीच का है किंतु कोविड कर परिवेश के संदर्भ में देख सकतें है जहाँ एक ओर डॉक्टर्स और उनके परिवार का निस्वार्थ त्याग है वही दूसरी और असंख्य लोगो का जिन्होंने अपने प्यारे खोय है। उनका भी यह त्याग ही हैं। follow me on Instagram and fb :- shivendramishraaakash #kavitarangmanch #shivendramishraaakash #poem #hindipoetry

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युवाओं से,,, आओ प्रथम स्तम्भ तुम्ही हो तुम्ही आधार हो, देश की प्रगति में ऊर्जा,शक्ति और विचार हो, तुम्हे सींचना है तरल प्रेम से भारत की बगिया, सृजन और संस्कृति दो  है भारत की नदियां, कदम कदम पे बचके चलना मुर्झा न पाये ये, अभी हरी है डाली नन्ही है भारत की कलियां, आओ स्वराष्ट्र के हित स्वयं को भी अर्पण करें इक्कीसवी सदी के भारत का  निमार्ण करें।। ©shivendra mishra"आकाश"

 युवाओं से,,,
आओ प्रथम स्तम्भ तुम्ही हो तुम्ही आधार हो,
देश की प्रगति में ऊर्जा,शक्ति और विचार हो,
तुम्हे सींचना है तरल प्रेम से भारत की बगिया,
सृजन और संस्कृति दो  है भारत की नदियां,
कदम कदम पे बचके चलना मुर्झा न पाये ये,
अभी हरी है डाली नन्ही है भारत की कलियां,
आओ स्वराष्ट्र के हित स्वयं को भी अर्पण करें
इक्कीसवी सदी के भारत का  निमार्ण करें।।

©shivendra mishra"आकाश"

युवाओं से,,, आओ प्रथम स्तम्भ तुम्ही हो तुम्ही आधार हो, देश की प्रगति में ऊर्जा,शक्ति और विचार हो, तुम्हे सींचना है तरल प्रेम से भारत की बगिया, सृजन और संस्कृति दो  है भारत की नदियां, कदम कदम पे बचके चलना मुर्झा न पाये ये, अभी हरी है डाली नन्ही है भारत की कलियां, आओ स्वराष्ट्र के हित स्वयं को भी अर्पण करें

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मैं हवा में भटकता फिरता हूं, तू बाँध ले, मेरे हिस्से के ग़मो को कुछ आधा बाँट ले, आँखे ढूढ़ती है तारों को जमीं से अंबर में, रात के अंधियारे में तू चाँद को साँध ले, ख्याल तो आया होगा तुझे मेरा सफर में, ये मेरी यादों के पन्ने तुझे सताते होंगे, कि कुछ टूटे ख्वाव तेरे पास आते होंगें।। ©shivendra mishra"आकाश"

 मैं हवा में भटकता फिरता हूं, तू बाँध ले,
मेरे हिस्से के ग़मो को कुछ आधा बाँट ले,
आँखे ढूढ़ती है तारों को जमीं से अंबर में,
रात के अंधियारे में तू चाँद को साँध ले,
ख्याल तो आया होगा तुझे मेरा सफर में,
ये मेरी यादों के पन्ने तुझे सताते होंगे,
कि कुछ टूटे ख्वाव तेरे पास आते होंगें।।

©shivendra mishra"आकाश"

मैं हवा में भटकता फिरता हूं, तू बाँध ले, मेरे हिस्से के ग़मो को कुछ आधा बाँट ले, आँखे ढूढ़ती है तारों को जमीं से अंबर में, रात के अंधियारे में तू चाँद को साँध ले, ख्याल तो आया होगा तुझे मेरा सफर में, ये मेरी यादों के पन्ने तुझे सताते होंगे, कि कुछ टूटे ख्वाव तेरे पास आते होंगें।। Shivendra mishra"आकाश"

8 Love

#शायरी #hindipoetry #MyPoetry #Muktakk

तमन्ना दिल की तुमसे है #hindipoetry #Muktakk #MyPoetry

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