अब तो कॉल उठाते हूए भी डर लगता हैं ....
बस हाथ #मौत का खबर लगता हैं ..
वो सियासत मे इस कदर मशगूल हैं
मुझे तो ये मौत भी सियासते हूनर लगता हैं ,
गुलशन मे ज़नाजे के फुल खिले हैं
उस तरफ कहाँ हाकीम का नज़र लगता हैं .....
.
. #वसीम_अकरम
लोग अब दिल खोलकर मिलने जुलने से कतराने लगे हैं ,
बाते भी सिर्फ मतलब की बतलाने लगे हैं
सच पर पर्दा डालकर झूठा रौब जमाने लगे हैं
मुहब्बत की आड़ मे , नफरत की आग जलाने लगे हैं ,
पढ़े लिखे का ढ़ोंग रचाकर ,
दूसरो को बेवकूफ बनाने लगे हैं
हम तुम्हारे साथ हैं यह कहकर ,
एहसस दिलाने लगे हैं ,
माना की तेरी कमाई अच्छी हैं
तेरी सौ बुराइयो से मेरी एक भलाई अच्छी हैं
जमाना कमज़ोर क्या करेगा मुझे ?
फक्र हैं कि मेरी माँई अच्छी हैं
तु चपलूसी करके कोफी पिता होगा
मगर तेरी कोफी से मेरी चाय अच्छी हैं !
बदनाम करने मे क्यू लगा हैं बेवकुफ
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