shreshthi khandelwal

shreshthi khandelwal

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समझते हो तुम तन्हा खुद को, यहां और भी लोग तन्हा हैं... लगता है तुमको कि तुम ही गुजरे हो इन हालातों से, पर जनाब यहां हर किसी के चेहरे पर झूठी मुस्कान का पहरा है... पहना है नकाब यहां हर किसी ने, जिसके पीछे इक हंसता और इक रोता चेहरा है... झांक कर देखो उनकी इस गहरी खामोशी में, उनका दिल कभी इधर तो कभी उधर भटकता है... नहीं मिल रहा उनको कोई सुकून अब, उनका दर्द तुमसे भी कहीं ज्यादा गहरा है... खामोशी भी सुन लोगे तुम उनकी, अगर लगे वो दर्द तुमको अपना है... ©shreshthi khandelwal

#alone  समझते हो तुम तन्हा खुद को,
यहां और भी लोग तन्हा हैं...
लगता है तुमको कि तुम ही गुजरे हो इन हालातों से,
पर जनाब यहां हर किसी के चेहरे पर झूठी मुस्कान का पहरा है...
पहना है नकाब यहां हर किसी ने,
जिसके पीछे इक हंसता और इक रोता चेहरा है...
झांक कर देखो उनकी इस गहरी खामोशी में,
उनका दिल कभी इधर तो कभी उधर भटकता है...
नहीं मिल रहा उनको कोई सुकून अब,
उनका दर्द तुमसे भी कहीं ज्यादा गहरा है...
खामोशी भी सुन लोगे तुम उनकी,
अगर लगे वो दर्द तुमको अपना है...

©shreshthi khandelwal

#alone

14 Love

कुछ इस प्रकार सुकून मिलता है एक भक्त को, हाथों में चाय हो और सामने महादेव हों... ©shreshthi khandelwal

 कुछ इस प्रकार सुकून मिलता है एक भक्त को,
हाथों में चाय हो और सामने महादेव हों...

©shreshthi khandelwal

कुछ इस प्रकार सुकून मिलता है एक भक्त को, हाथों में चाय हो और सामने महादेव हों... ©shreshthi khandelwal

15 Love

We remain silent when we लोगों की तो आदत है, किसी के दर्द पर बेबाक हंसने की... फर्क नहीं पड़ता उनको, किसी के मर मर कर जीने से... लोगों का क्या है जीते जी तो जीने नहीं देते, और जब लेटे हों मौत की सेज पर तो अच्छा इंसान था, वही लोग ये बोल देते हैं... ©shreshthi khandelwal

#Silent  We remain silent when we  लोगों की तो आदत है,
किसी के दर्द पर बेबाक हंसने की...
फर्क नहीं पड़ता उनको,
किसी के मर मर कर जीने से...
लोगों का क्या है जीते जी तो जीने नहीं देते,
और जब लेटे हों मौत की सेज पर
तो अच्छा इंसान था, वही लोग ये बोल देते हैं...

©shreshthi khandelwal

#Silent

12 Love

#आखिर #story #poem  😢

#आखिर कौन हूं मैं... #story

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जिस दिन मिले वह दिन भी कितना हसीन था, तुम मेरे और मैं तुम्हारे करीब थी, लग रहा था सब इक सपने जैसा, पर जब छूआ तो पता चला तुम मेरे साथ थे, वही मेरी जिंदगी का असल सुकून था.... ©shreshthi khandelwal

 जिस दिन मिले वह दिन भी कितना हसीन था,
तुम मेरे और मैं तुम्हारे करीब थी,
लग रहा था सब इक सपने जैसा,
पर जब छूआ तो पता चला
तुम मेरे साथ थे,
वही मेरी जिंदगी का असल सुकून था....

©shreshthi khandelwal

जिस दिन मिले वह दिन भी कितना हसीन था, तुम मेरे और मैं तुम्हारे करीब थी, लग रहा था सब इक सपने जैसा, पर जब छूआ तो पता चला तुम मेरे साथ थे, वही मेरी जिंदगी का असल सुकून था.... ©shreshthi khandelwal

12 Love

#बेआबरू #poetryunplugged
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