तंग हाथों में सनसनी सी उठती हैं जरूरतें गीन कर,
आंखें रोज आस में सो जाया करती हैं ख्वाहिशें बुन कर,
यूं अदावती मिज़ाज में ये दुनियां नोट छीनती है,
और फिर भूल जाया करती है हालात बता कर।
क्या आप भी कभी किसी की घीसी चादर को चीरने से चूकना नहीं चाहेंगे?
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तंग हाथों में के सनसनी सी उठती हैं जरूरतें गीन कर,
आंखें रोज आस में सो जाती हैं ख्वाहिशें बुन कर,
यूं अदावती मिज़ाज में ये दुनियां नोट छीनती है,
और फिर भूल जाती है हालात बता कर।
Kisise baat karte waqt kaisa mehsus karte hain aap?
Dhage sa wo kehte the hume, Sargam sa bajate chale gaye. Kisson me jisne bhi dafa kiya, hume Unhe hm raar dikha kar chale gaye.
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