Bikramjit Singh Sethi

Bikramjit Singh Sethi Lives in Noida, Uttar Pradesh, India

A professional, a poet, a traveller, a foodie, a music lover, and above all, a HUMAN!

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होता है जहां से आगाज़-ए-रंजिश वो अफ़साना बाकी है अभी | तुम्हें जल्दी होगी अंजाम की साकी मेरा पैमाना बाकी है अभी | उसे लगा के गुज़र गया बिन बरसात के बादल की तरह | अब कैसे बताएं रकीब को जाके हमारा ज़माना बाकी है अभी | ता उम्र जिसका इंतज़ार किया मैंने हद से भी ज़्यादा ऐतबार किया मैंने | कहीं मिल जाए तो कह देना यह पागल दीवाना बाकी है अभी | इस दौड़ में पीछे छूट गए कुछ अपने मुझ से रूठ गए | मुझे ग़लत समझ कर बैठे हैं उन्हें मनाना बाकी है अभी | कुछ राज़ हैं दिल में दबे हुए अल्फाज़ शर्म से ढके हुए | जो दिल से दिल तक पहुंच सके इक नज़्म सुनाना बाकी है अभी | दीन और मज़हब से हो के परे मुसलसल जो मुझ को मयस्सर करे | दुश्मनों के शहर में आज भी 'सेठी' वो एक मैखाना बाकी है अभी |

#NojotoTMP  होता है जहां से आगाज़-ए-रंजिश
वो अफ़साना बाकी है अभी |
तुम्हें जल्दी होगी अंजाम की साकी
मेरा पैमाना बाकी है अभी |

उसे लगा के गुज़र गया
बिन बरसात के बादल की तरह |
अब कैसे बताएं रकीब को जाके
हमारा ज़माना बाकी है अभी |

ता उम्र जिसका इंतज़ार किया मैंने
हद से भी ज़्यादा ऐतबार किया मैंने |
कहीं मिल जाए तो कह देना
यह पागल दीवाना बाकी है अभी |

इस दौड़ में पीछे छूट गए 
कुछ अपने मुझ से रूठ गए |
मुझे ग़लत समझ कर बैठे हैं
उन्हें मनाना बाकी है अभी |

कुछ राज़ हैं दिल में दबे हुए
अल्फाज़ शर्म से ढके हुए |
जो दिल से दिल तक पहुंच सके
इक नज़्म सुनाना बाकी है अभी |

दीन और मज़हब से हो के परे
मुसलसल जो मुझ को मयस्सर करे |
दुश्मनों के शहर में आज भी 'सेठी'
वो एक मैखाना बाकी है अभी |

बाकी है अभी #NojotoTMP @Satyaprem Arun Raina @Nojoto Hindi @Samar Ishrat Ashif

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#Photography #Agra #taj

#SafdarJungTomb #Photography #Delhi

हवा से बातें करना हमें अच्छा लगता है | कभी बिना बात संवरना हमें अच्छा लगता है | जहां जाने से बचपन की यादें ताज़ा होती हैं उन गलियों से गुज़रना हमें अच्छा लगता है | सुबह सुबह जब ओस की बूँदें घास पे गिरती हैं तब गीली घास पे चलना हमें अच्छा लगता है | यूँ तो तेज़ रफ़्तार से ज़िन्दगी चलती रहती है कभी थोड़ा बहुत ठहरना हमें अच्छा लगता है | जब लफ्ज़ नहीं मिलते 'सेठी' को तारीफ बयां करने के ऐसे में फिर ज़बान फिसलना हमें अच्छा लगता है |

#udhaarkelafz #dpf  हवा से बातें करना हमें अच्छा लगता है |
कभी बिना बात संवरना हमें अच्छा लगता है |

जहां जाने से बचपन की यादें ताज़ा होती हैं 
उन गलियों से गुज़रना हमें अच्छा लगता है |

सुबह सुबह जब ओस की बूँदें घास पे गिरती हैं
तब गीली घास पे चलना हमें अच्छा लगता है |

यूँ तो तेज़ रफ़्तार से ज़िन्दगी चलती रहती है 
कभी थोड़ा बहुत ठहरना हमें अच्छा लगता है |

जब लफ्ज़ नहीं मिलते 'सेठी' को तारीफ बयां करने के
ऐसे में फिर ज़बान फिसलना हमें अच्छा लगता है |

#Photography #pikespeak #colorado

भगवान् बहुत हैं दुनिया में इंसान ही कुछ कम दिखते हैं | नया सफर है नए लोग मिले हैं चल इक नया सफरनामा लिखते हैं |

#udhaarkelafz  भगवान् बहुत हैं दुनिया में
इंसान ही कुछ कम दिखते हैं |
नया सफर है नए लोग मिले हैं
चल इक नया सफरनामा लिखते हैं |
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