Gayatri Singh

Gayatri Singh

सुन लिया करें😁

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#कविता #myvoice #Mother

तुम समझते हो, वहां क्या है मेरा! कैसे बताऊ, वहां बचपन है मेरा। तुम सोचते हो वहां अब कौन है मेरा! तुम्हें कैसे दिखाऊ, वहां "मैं"अभी भी है मेरा। मुझे याद भी नहीं उस जगह कब आई थी, लेकिन ये पता है वहां मुझे माँ लाई थी। तुमसे ज्यादा और कौन समझता है, जब माँ नहीं होती तो कैसा लगता है। कितना अच्छा है न तुम्हारा, तुम वहां से गुज़र सकते हो जहाँ माँ बैठा करती थी, वो घर भी कभी बगल से गुजरता है जहाँ वो तुम्हें पूछा करती थी। मेरी माँ भी अब अपनी माँ के पास है, तुम्हें कैसे समझाऊं😔 वहां अबभी उसका एहसास है। जैसे जैसे बीमारी हर अंग को छिन्न कर रहा है. कैसे कहूं मन हर किसीको विभिन्न कर रहा है। बचपन से जवानी तक की रेखा वही तो खींची है, सुनो, चार दिन मे फिर से जी लूँगी जो वहाँ मुझपे बीती है। जानते हो तुम, अपनी पे आउ तो मन की कर जाउंगी, पर माँ के यहाँ तुम्हारे मन के साथ ही जाउंगी। उम्र भर के लिए ये जिम्मेदारियां आई है, अपनी माँ के घर मेरी सहेलियां भी आई है। उनके जाने से पहले उनसे मिल आउंगी, अब माँ घर मे नहीं रहती उसकी चौखट निहार आउंगी। जाने दो, फिर लौट कर अपने घर ही तो आऊंगी...🙂 ©Gayatri Singh

#कविता #MothersDay  तुम समझते हो, वहां क्या है मेरा!
कैसे बताऊ, वहां बचपन है मेरा।
तुम सोचते हो वहां अब कौन है मेरा! 
तुम्हें कैसे दिखाऊ, वहां "मैं"अभी भी है मेरा।
मुझे  याद भी नहीं उस जगह कब आई थी,
लेकिन ये पता है वहां मुझे माँ लाई थी।
तुमसे ज्यादा और कौन समझता है,
जब माँ नहीं होती तो कैसा लगता है।
कितना अच्छा है न तुम्हारा, तुम वहां से गुज़र सकते हो जहाँ माँ बैठा करती थी,
वो घर भी कभी बगल से गुजरता है जहाँ वो तुम्हें पूछा करती थी।
मेरी माँ भी अब अपनी माँ के पास है, 
तुम्हें कैसे समझाऊं😔
वहां अबभी उसका एहसास है।
जैसे जैसे बीमारी हर अंग को छिन्न कर रहा है.
कैसे कहूं  मन हर किसीको विभिन्न कर रहा है।
बचपन से जवानी तक की रेखा वही तो खींची है,
सुनो,
चार दिन मे फिर से जी लूँगी जो वहाँ मुझपे बीती है।
जानते हो तुम, अपनी पे आउ तो मन की कर जाउंगी,
पर माँ के यहाँ तुम्हारे मन के साथ ही जाउंगी।
उम्र भर के लिए ये जिम्मेदारियां आई है,
अपनी माँ के घर मेरी सहेलियां भी आई है।
उनके जाने से पहले उनसे मिल आउंगी,
अब माँ घर मे नहीं रहती उसकी चौखट निहार आउंगी।
जाने दो, फिर लौट कर अपने घर ही तो आऊंगी...🙂

©Gayatri Singh
#जिन्दगी #कविता #साज़िश #ईश्क़ #ShamBhiKoi

उससे मिला दिया ज़िन्दगी की साज़िश भी अच्छी थी क़िस्मत के ख़िलाफ़ थी वो ख़्वाहिश भी अच्छी थी बेक़दर ज़मी पे उगाई थी पहली इश्क़ की फ़सल ज़र्रा ज़र्रा झुलसने के बाद हुई बारिश भी अच्छी थी ©Gayatri Singh

#कविता #clouds  उससे मिला दिया ज़िन्दगी की साज़िश भी अच्छी थी
क़िस्मत के ख़िलाफ़ थी वो ख़्वाहिश भी अच्छी थी
बेक़दर ज़मी पे उगाई थी पहली इश्क़ की फ़सल
ज़र्रा ज़र्रा झुलसने के बाद हुई बारिश भी अच्छी थी

©Gayatri Singh

#clouds

5 Love

रौशनी ही तो करनी है... मिट्टी के दीपक से या किसीकी मुस्कान से... शुभ दीपावली ©Gayatri Singh

#Lights  रौशनी ही तो करनी है...
मिट्टी के दीपक से या   
किसीकी मुस्कान से...
शुभ दीपावली

©Gayatri Singh

दिये के साथ चहेरे भी रौशन हो.. आप सभी को शुभकामनाएं #Lights

7 Love

#DeshKiBetiyaan

हर औरत अग्नि का रूप है। #DeshKiBetiyaan

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