bina singh

bina singh Lives in Patna, Bihar, India

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White तुम बिन न कोई रातें हो न तुम बिन कोई सवेरा हो ये दिल तो अब चहता यही है तेरे इर्द गिर्द ही मेरा बसेरा हो न खामोशी का कोई मंजर हो न तन्हाई का डेरा हो कुछ पल हम साथ हो ऐसे ही ज़िन्दगी का फलसफा कुछ ऐसा हों ... By Bina singh ©bina singh

#कविता #love_shayari  White तुम बिन न कोई रातें हो 
न तुम बिन कोई सवेरा हो 
ये दिल तो अब चहता यही है
तेरे इर्द गिर्द ही मेरा बसेरा हो 

न खामोशी का कोई मंजर हो 
न तन्हाई का डेरा हो 
कुछ पल हम साथ हो ऐसे ही 
ज़िन्दगी का फलसफा कुछ ऐसा हों ...
By Bina singh

©bina singh

#love_shayari

11 Love

White यारा दिल की बात बताया करो जो भी बातें हो दिल में मुझसे न छुपाया करो .. मुझको तुम सुनाया करो यूं अकेले ना सारी परेशानियां सुलझाया करो जो भी हो बातें हैं.. दिल ही दिल में ना रखो मुझसे तो बताया करो तुम ऐसे न बात बात पर आवाज उटाया करो अगर ना समझ पाऊं कोई बात .. तो प्यार से समझाया करो मैं रूट जाऊ या नाराज़ हो जाऊ .. तुम मेरी तरह ही जो सच हो वही बताया करो यूं झूट मूट की बातों से मेरा मन न बहलाया करो यारा दिल की बात बताया करो ...by Bina singh ©bina singh

#कविता #love_shayari  White यारा दिल की बात बताया करो 
जो भी बातें हो दिल में मुझसे न छुपाया करो ..
मुझको तुम सुनाया करो 
यूं अकेले ना सारी परेशानियां सुलझाया करो 
जो भी हो बातें हैं.. 
दिल ही दिल में ना रखो मुझसे तो बताया करो 
तुम ऐसे न बात बात पर आवाज उटाया करो 
अगर ना समझ पाऊं कोई बात ..
तो प्यार से समझाया करो 
मैं रूट जाऊ या नाराज़ हो जाऊ ..
तुम मेरी तरह ही जो सच हो वही बताया करो 
यूं झूट मूट की बातों से मेरा मन न बहलाया करो 
यारा दिल की बात बताया करो ...by Bina singh

©bina singh

#love_shayari

13 Love

White जो कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं जो करते कुछ और हैं और दिखाते कुछ और हैं जो सुनते कुछ और हैं और बोलेते कुछ और हैं जो होते कुछ और हैं और बनते कुछ और हैं ऐसे लोग इंसान की श्रेणी के गिरगिट हैं जो बात बात पर रंग बदलते है जो मौसम से पहले ही बदलते हैं..by Bina singh ©bina singh

#कविता #lonely_quotes  White जो कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं 
जो करते कुछ और हैं और दिखाते कुछ और हैं 
जो सुनते कुछ और हैं और बोलेते कुछ और हैं 
जो होते कुछ और हैं और बनते कुछ और हैं 
ऐसे लोग इंसान की श्रेणी के गिरगिट हैं 
जो बात बात पर रंग बदलते है 
जो मौसम से पहले ही बदलते हैं..by Bina singh

©bina singh

White कल क्या हो जाये किसी पता हैं अाज यहाँ कल कहा खो जाये चलती सांसों का क्या है भरोसा अभी चल रही हैं जाने कब रुक जाये जैसे आँखों के इन सपनों का अता पता नहीं हैं सोये तक ये सपने अपने होते है और जागते ही ये सपने कहीं गुम हो जाते हैं रह रह कर ये साँसें जाने क्यों बेचैन करती हैं कुछ तो है अधूरा ये मुझसे कहती हैं चलती तो हैं ये साँसें पर हर सांस का हमसे ये सौदा करती हैं ये सारे गीले शिकवे अब दूर करते हैं मिलकर कुछ पल आओ जिते हैं ये सब हिस्सेदारी , नफरत, आह, अहंकार, द्वेष, यहीं धरा रह जायेगा सांसे रूक जाएगी सब तमाशा यहीं ख़तम हो जाएगा कल क्या हो जाये किसी पता हैं अाज यहाँ कल कहा खो जाये चलती सांसों का क्या है भरोसा अभी चल रही हैं जाने कब रुक जाये....by bina singh ©bina singh

#कविता #nightthoughts  White कल क्या हो जाये किसी पता
हैं अाज यहाँ कल कहा खो जाये 
चलती सांसों का क्या है भरोसा 
अभी चल रही हैं जाने कब रुक जाये
जैसे आँखों के इन सपनों का अता पता नहीं हैं 
सोये तक ये सपने अपने होते है 
और जागते ही ये सपने कहीं गुम हो जाते हैं
रह रह कर ये साँसें जाने क्यों बेचैन करती हैं 
कुछ तो है अधूरा ये मुझसे कहती हैं 
चलती तो हैं ये साँसें पर हर सांस का हमसे ये सौदा करती हैं 
ये सारे गीले शिकवे अब दूर करते हैं 
मिलकर कुछ पल आओ जिते हैं 
ये सब हिस्सेदारी , नफरत, आह, अहंकार, द्वेष, यहीं धरा रह जायेगा 
सांसे रूक जाएगी सब तमाशा यहीं ख़तम हो जाएगा
कल क्या हो जाये किसी पता
हैं अाज यहाँ कल कहा खो जाये 
चलती सांसों का क्या है भरोसा 
अभी चल रही हैं जाने कब रुक जाये....by bina singh

©bina singh

lovefingers वो बचपन के दिन वो खुला आसमान वो आसान सी अपनी गलियां वो अपना दौड़ता जाना पहचाना सा रास्ता वो मेरा कुंवा और कुछ नदियां कच्चे रास्ते और पगडंडियां हरे - भरे खेत और खलिहान वो छोटा सा अपना घर और उस घर की चार दिवारिया वो अपना फूलों का छोटा सा बगीचा और उस पर मंडराती तितिलियां वो बेपरवाह और इतरा कर चलना वो अपनी बातें दोस्तों से करना और जोर- ज़ोर से हंसना वो अपना स्कूल और अपने से कुछ टीचर्स वो छोटी - छोटी बातों पर दोस्तों से रूठना और मनाना वो स्कूल के इंटरवल में लंच शेयर कर के खाना वो टीचर से झूठ बोलकर क्लास से बाहर जाना वो हंसते हंसाते पूरा दिन कट जाना वो इशारों - इशारों में एक दूसरे को चिढ़ाना वो किसी से आखों का मिल जाना और फिर शरमा जाना ये सब कुछ बहुत याद आते हैं...by Bina singh ©bina singh

#कविता #lovefingers  lovefingers वो बचपन के दिन
वो खुला आसमान
वो आसान सी अपनी गलियां
वो अपना दौड़ता जाना पहचाना सा रास्ता 
वो मेरा कुंवा और कुछ नदियां
कच्चे रास्ते और पगडंडियां
हरे - भरे खेत और खलिहान
वो छोटा सा अपना घर और उस घर की चार दिवारिया
वो अपना फूलों का छोटा सा बगीचा और उस पर मंडराती तितिलियां
वो बेपरवाह और इतरा कर चलना
वो अपनी बातें दोस्तों से करना और जोर- ज़ोर से हंसना
वो अपना स्कूल और अपने से कुछ टीचर्स
वो छोटी - छोटी बातों पर दोस्तों से रूठना और मनाना
वो स्कूल के इंटरवल में लंच शेयर कर के खाना
वो टीचर से झूठ बोलकर क्लास से बाहर जाना
वो हंसते हंसाते पूरा दिन कट जाना
वो इशारों - इशारों में एक दूसरे को चिढ़ाना
वो किसी से आखों का मिल जाना और फिर शरमा जाना
ये सब कुछ बहुत याद आते हैं...by Bina singh

©bina singh

#lovefingers

14 Love

तुम साथ हो मेरे मेरे लिए तो यही काफी है तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में है मेरे लिए तो यही काफी है पहले की तरह तुम्हें देखने के खातिर तरसती नहीं है निगाहें मेरे लिए तो यही काफी है सुबह- सुबह उठते ही तुम्हें जी भर कर देख लेना मेरे लिए तो यही काफी है क्या दुःख और क्यों करू कल की चिंता मुझे मेरे दुःख में भी तु चाहिए मेरे सुख में भी तु हसीं में भी तू चाहिए, आखों की नमी में भी तू मेरे आस पास तुम हो , मेरे साथ चल रहे हो तुम मेरे लिए तो यही काफी है...by bina singh ©bina singh

#कविता #saath  तुम साथ हो मेरे
मेरे लिए तो यही काफी है
तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में है 
मेरे लिए तो यही काफी है
पहले की तरह तुम्हें देखने के खातिर तरसती नहीं है निगाहें 
मेरे लिए तो यही काफी है
सुबह- सुबह उठते ही तुम्हें जी भर कर देख लेना
मेरे लिए तो यही काफी है
क्या दुःख और क्यों करू कल की चिंता
मुझे मेरे  दुःख में भी तु चाहिए
मेरे सुख में भी तु
हसीं में भी तू चाहिए, आखों की नमी में भी तू
मेरे आस पास तुम हो , मेरे साथ  चल रहे हो तुम 
 मेरे लिए तो यही काफी है...by bina singh

©bina singh

#saath

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