White कल क्या हो जाये किसी पता
हैं अाज यहाँ कल कहा खो जाये
चलती सांसों का क्या है भरोसा
अभी चल रही हैं जाने कब रुक जाये
जैसे आँखों के इन सपनों का अता पता नहीं हैं
सोये तक ये सपने अपने होते है
और जागते ही ये सपने कहीं गुम हो जाते हैं
रह रह कर ये साँसें जाने क्यों बेचैन करती हैं
कुछ तो है अधूरा ये मुझसे कहती हैं
चलती तो हैं ये साँसें पर हर सांस का हमसे ये सौदा करती हैं
ये सारे गीले शिकवे अब दूर करते हैं
मिलकर कुछ पल आओ जिते हैं
ये सब हिस्सेदारी , नफरत, आह, अहंकार, द्वेष, यहीं धरा रह जायेगा
सांसे रूक जाएगी सब तमाशा यहीं ख़तम हो जाएगा
कल क्या हो जाये किसी पता
हैं अाज यहाँ कल कहा खो जाये
चलती सांसों का क्या है भरोसा
अभी चल रही हैं जाने कब रुक जाये....by bina singh
©bina singh
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