Prakash Ranjan Shail

Prakash Ranjan Shail

मेरी चाहत, मेरी आकांक्षा, मेरे सपने यह सब कवि बनने से इतर हैं। मै चाहता हूं कि मेरी रचनाएँ इतनी बुरी हों कि कोई भी इसे ना पढे। मै इतना नापसंद किया जाउं कि लिखना ही छोड़ दूं। हां, मै कवि नही बनना चाहता। ये तो भावनाओं का ज्वार है जो कभी-कभी बस मचल भर जाता है। मै तुम्हें पाना चाहता हूं मगर चुंकि तुम्हें पाने को ये भावनाओं का ज्वार नितांत अपर्याप्त है सो शायद इस जनम मुझे कवि ही रहना पड़े।

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आंखों मे मोती भर कर तुम प्रीत के रीत निभाओ यूं प्यार का फर्ज निभाना मेरी कब्र पे मिलने आना। ©Prakash Ranjan Shail

#शायरी  आंखों मे 
मोती भर कर
तुम प्रीत के रीत निभाओ

यूं प्यार का 
फर्ज निभाना
मेरी कब्र पे मिलने आना।

©Prakash Ranjan Shail

आंखों मे मोती भर कर तुम प्रीत के रीत निभाओ यूं प्यार का फर्ज निभाना मेरी कब्र पे मिलने आना। ©Prakash Ranjan Shail

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#कविता

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#कविता

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#फरियाद #कविता

तेरी आंखों के दरिया मे खो जाएं इश्क मुकम्मल सागर जैसा हो जाए। ©Prakash Ranjan Shail

#शायरी #seaside  तेरी  आंखों के  दरिया मे  खो जाएं 
इश्क मुकम्मल सागर जैसा हो जाए।

©Prakash Ranjan Shail

#seaside

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आईना भी तुझको देख संवरता है हर चेहरे मे तेरा अक्श उभरता है। ©Prakash Ranjan Shail

#शायरी  आईना भी तुझको देख संवरता है
हर चेहरे मे तेरा अक्श उभरता  है।

©Prakash Ranjan Shail

आईना भी तुझको देख संवरता है हर चेहरे मे तेरा अक्श उभरता है। ©Prakash Ranjan Shail

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