Saurav Ranjan

Saurav Ranjan Lives in Gaya, Bihar, India

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#Life_A_Blank_Page #Life_experience #Life❤ #Friend #City  अब कहीं इस चौखट से दूर निकलूं तो देखुंगा, ये मन लगने को तो लग जाएगा पर कितना लगेगा देखुंगा।

जमाना कहता है नजरों से दूर की दुनिया बेहद हंसीं है, अब निकल हीं रहा हूं तो वो भी देखुंगा।

ना जाने कितने रास्ते होंगे मेरे शहर से निकलने को,
पर जो मेरे घर तक लौटे, वैसा कोई देखुंगा।

सारा दिन तो देख लुंगा ये चमक-दमक शहरों का,
पर दिन ढले आशियाने लौटूं तो कौन नजर उतारेगा देखुंगा।

ये दोस्त-यार, गली-चौराहे सारे वायदे कर रहे थे मिलने की, अब कभी फुर्सत मिली तो छुट्टियों के चन्द दिन गिन कर देखुंगा।

©Saurav Ranjan

Every step costs something, sometimes smiles, sometimes tears and sometimes memories. #Life❤ #Life_A_Blank_Page #Life_experience #Friend #City

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कमाया कुछ, लुटाया कुछ, यहां कहां कोई मेरी तबियत पुछते बैठा है; मतलब कि ये दुनिया है मालिक, पर चलो अच्छा है। चारों पहर थक कर लौटी थी जिंदगी, चौखट पर ही जिम्मेदारी ने पुछ लिया; खाली हाथ लौट आए, क्या ये अच्छा है। नाराज़गी उस शख्स की जायज़ है, जिसने हंसती हुई तस्वीर बनवाई थी; घर छोड़ते हुए आंसू चिढ़ा रहे, हंसता है, अच्छा है। ले-देकर यही कुछ खत थे मिल्कियत में मेरे, उनके भी आखिरी श़फ में लिखा था; पढ़ कर जला देना, चलो अच्छा है। मैंने तो रंज ही पढ़ें थे महफ़िल में, ये तो लोग हैं, जो तालियां बजातें हैं; कहते हैं, ये कलम लिखती बड़ा अच्छा है। ©Saurav Ranjan

#ArabianNight  कमाया कुछ, लुटाया कुछ, यहां कहां कोई मेरी तबियत पुछते बैठा है;
मतलब कि ये दुनिया है मालिक, पर चलो अच्छा है।

चारों पहर थक कर लौटी थी जिंदगी, चौखट पर ही जिम्मेदारी ने पुछ लिया;
खाली हाथ लौट आए, क्या ये अच्छा है।

नाराज़गी उस शख्स की जायज़ है, जिसने हंसती हुई तस्वीर बनवाई थी;
घर छोड़ते हुए आंसू चिढ़ा रहे, हंसता है, अच्छा है।

ले-देकर यही कुछ खत थे मिल्कियत में मेरे, उनके भी आखिरी श़फ में लिखा था;
पढ़ कर जला देना, चलो अच्छा है।

मैंने तो रंज ही पढ़ें थे महफ़िल में, ये तो लोग हैं, 
जो तालियां बजातें हैं;
कहते हैं, ये कलम लिखती बड़ा अच्छा है।

©Saurav Ranjan

#ArabianNight life says 'अच्छा है '

11 Love

#Life_A_Blank_Page #Life_Experiences #God  गुजरते हुए मौसम देखे ऐ ज़िन्दगी,
फिर तेरी ओर देखा और नजारे देखे।

कुछ तो बात जरूर थी उस भंवर में,
किसी ने लहरें देखीं तो किसी ने किनारे देखे।

मैंने देखा था मजबूरी को सुखी रोटी खाते,
दुर कहीं बैठ गरीबी का ये तमाशा संसार देखे।

इस साल कि पहली बारिश क्या हुई,
भीगे बदन से छत कि ओर आत्मसम्मान देखे।

दिए जलाए रखें थे उम्मीद ने किसी तरह, झरोखों
ने फटकार लगाई फिर निराशा का खेल अंधकार देखे।

किसी दहलीज पर सर झुकाए बैठे थे सारे, निर्लज्जता 
ने गुलामी देखीं और आस्था ने भगवान देखे।

©Saurav Ranjan
#citylight  लिखने क्या बैठा एक खत तुम्हें, शब्द जो बिखेरे थे मैंने
अपने कमरे में, वो खुद ही पन्ने से आ लगे।

दुआ है तुम्हें देखु और देखता ही रहूं, कई दिनों से ये शख्स सोया नहीं
शायद इसी बहाने निंद मेरी आंखों से आ लगे।

नज़रें मिलते ही तुझसे अब बंद कर लेता हूं आंखें अपनी, 
कहीं तुम्हें मेरी हीं नजर ना लगे।

ना जाने कितने दुश्मन बना रखे हैं मैंने, देखते हीं मुझे
ये हवाएं उनकी ज़ुल्फों से जा लगे।

रूठ कर देखा है कई दफा, छलकतीं आंखों से खिलखिलाता हुआ
छोटे बच्चे कि तरह ये ज़िंदगी, हर बार मुझसे आ लगे।

एक अरदास मेरी भी सुन ले ऐ ऊपर वाले
अरे कोई मुझे भी देखे मुस्कुराए और गले से आ लगे।

©Saurav Ranjan

#citylight

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आज पलट रहा था पन्ने पुराने, तुम्हारे नाम का जीकर् मिला तो ठहर गया। गुजर रहा था शहर से तेरे तन्हाई लिए निशां मिली तुम्हारे कदमों की तो ठहर गया। अर्षों से तलाश रहा था विराने में खुद को धुंधली जो तस्वीर देखी तुम्हारी तो ठहर गया। सिरहाने आकर बैठ गया वो झरोखा तुझसे गुजर कर उनमें तुम्हारी खुश्बू मिली तो मैं भी ठहर गया। मैं राही था इक सफर का, जिस मुहाने भी तुम मिले मैं हर उस मुहाने ठहरा। ठहरा कभी शफ़ तो कभी हर्फ दर हर्फ ठहरा हर उस दहलीज जिसने तेरी ओर इशारा किया, उसको खुदा मान, मैं खुदा के हर दहलीज पर ठहरा। ©Saurav Ranjan

#betrayal #Journey  आज पलट रहा था पन्ने पुराने,
तुम्हारे नाम का जीकर् मिला तो ठहर गया।

गुजर रहा था शहर से तेरे तन्हाई लिए
निशां मिली तुम्हारे कदमों की तो ठहर गया।

अर्षों से तलाश रहा था विराने में खुद को
धुंधली जो तस्वीर देखी तुम्हारी तो ठहर गया।

सिरहाने आकर बैठ गया वो झरोखा तुझसे गुजर कर
उनमें तुम्हारी खुश्बू मिली तो मैं भी ठहर गया।

मैं राही था इक सफर का, जिस मुहाने भी 
तुम मिले मैं हर उस मुहाने ठहरा। 

ठहरा कभी शफ़ तो कभी हर्फ दर हर्फ ठहरा
हर उस दहलीज जिसने तेरी ओर इशारा किया,
उसको खुदा मान, मैं खुदा के हर दहलीज पर ठहरा।

©Saurav Ranjan

ठहर गया..... #Journey #betrayal

10 Love

ये लहजा ये सादगी गहने हैं तुम्हारे, पर कभी कभी आंखों में काजल सजा लेना, अच्छी लगती हो। मैंनें देखा है इन झरोखों को शताते तुम्हें, सुनो ये जुल्फें बांध लेना, अच्छी लगती हो। सुना है मेरे बाग के परिंदे दोस्त हैं तुम्हारे उन संग गित कभी मेरी भी गुनगुना लेना, अच्छी लगती हो। शब्दों से अपने इक तस्वीर पिरोई थी तुम्हारी कभी फुर्सत से मिलना दिखलाऊंगा, अच्छी लगती हो। आते तो होंगे वो सितारे छत पे तुम्हारे भी, मेरी नजरों से कभी उनमें खुद को तलाशना, यकिनन अच्छी लगती हो। ©Saurav Ranjan

 ये लहजा ये सादगी गहने हैं तुम्हारे, पर
कभी कभी आंखों में काजल सजा लेना, अच्छी लगती हो।

मैंनें देखा है इन झरोखों को शताते तुम्हें, सुनो
ये जुल्फें बांध लेना, अच्छी लगती हो।

सुना है मेरे बाग के परिंदे दोस्त हैं तुम्हारे
उन संग गित कभी मेरी भी गुनगुना लेना, अच्छी लगती हो।

शब्दों से अपने इक तस्वीर पिरोई थी तुम्हारी
कभी फुर्सत से मिलना दिखलाऊंगा, अच्छी लगती हो।

आते तो होंगे वो सितारे छत पे तुम्हारे भी, मेरी नजरों
से कभी उनमें खुद को तलाशना, यकिनन अच्छी लगती हो।

©Saurav Ranjan

Aachi lgti ho...

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