yamini gaur

yamini gaur Lives in Firozabad, Uttar Pradesh, India

यूं तो पेशे से मै भी इंजिनियर हूं साहब।। ये लिखने का हुनर तो किसी की बेरुखी से आया है।। Writer | Artist | Psycho

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मैंने सपनों के शहर की कहानी लिखी है ... ऊंची इमारतों के पीछे पलता बचपन, जिम्मेदारियों की आड़ में ढलती जवानी लिखी है... घड़ी की सुइयों से तेज दौड़ती जिंदगी में , कुछ सुकून के पलों की ख्वाइश तुम्हारी लिखी है ... चाय की टपरी पर लगते ठहाकों में उड़ती परेशानी लिखी है ... याद के तौर पर रखी अपनों की एक तस्वीर बतौर निशानी लिखी है ... और इतवार के इंतजार में हजार सपनों की एक किताब पुरानी लिखी है .... ©yamini gaur

#विचार #Dark  मैंने सपनों के शहर की कहानी लिखी है ...

ऊंची इमारतों के पीछे पलता बचपन, 
जिम्मेदारियों की आड़ में ढलती जवानी लिखी है...

घड़ी की सुइयों से तेज दौड़ती जिंदगी में ,
 कुछ सुकून के पलों की ख्वाइश तुम्हारी लिखी है ...

चाय की टपरी पर लगते ठहाकों
 में उड़ती परेशानी लिखी है ...

याद के तौर पर रखी अपनों की 
एक तस्वीर बतौर निशानी लिखी है ...

और इतवार के इंतजार में हजार सपनों की 
एक किताब पुरानी लिखी है ....

©yamini gaur

#Dark

2 Love

Bachpan

Bachpan

Wednesday, 25 May | 08:30 pm

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आईना हँसु जो मैं तो ये भी खिलखिलाता है, जो रोयूँ कभी तो ये भी बिलखता नज़र आता है। मेरे चेहरे के दाग भी तो ये कहाँ छुपाता है, और लगाऊं जो कभी काली बिंदी तो ये मुझसे ज्यादा इठलाता है। उदास हूँ अगर तो ये भी कहाँ मुस्कुराता है, और जो हार जाऊं कभी मैं तो ये हौंसला बन मेरे सामने खड़ा हो जाता है। आईना जो सच बताता है, और ये हमेशा मुझे-मुझसे मिलता है । ©yamini gaur

#विचार #Mirror #alone  आईना

हँसु जो मैं तो ये भी खिलखिलाता है,
जो रोयूँ कभी तो ये भी बिलखता नज़र आता है।

मेरे चेहरे के दाग भी तो ये कहाँ छुपाता है,
और लगाऊं जो कभी काली बिंदी तो ये मुझसे ज्यादा इठलाता है।

उदास हूँ अगर तो ये भी कहाँ मुस्कुराता है,
और जो हार जाऊं कभी मैं तो ये हौंसला बन मेरे सामने खड़ा हो जाता है।

आईना जो सच बताता है, और ये हमेशा मुझे-मुझसे मिलता है ।

©yamini gaur

#alone poetry #Poetry #Mirror

12 Love

काम धाम सब छोड़ के सैनिटाइजर की बोतल को लो साथ, क्योंकि अब फ़िर बार-बार सैनिटाइज जो करने हैं हाथ। लिपस्टिक लगाएं या न लगाएं बहुत बड़ा ये टास्क, चालान कट जाएगा तनिक जो सरका मास्क। अपनों का ख़्याल करना बहुत है जरूरी, सामाजिक नहीं, आपस में रखिये शारीरिक दूरी। ©yamini gaur

#कॉमेडी #LastNight  काम धाम सब छोड़ के सैनिटाइजर की बोतल को लो साथ,
क्योंकि अब फ़िर बार-बार सैनिटाइज जो करने हैं हाथ।

लिपस्टिक लगाएं या न लगाएं बहुत बड़ा ये टास्क,
चालान कट जाएगा तनिक जो सरका मास्क।

अपनों का ख़्याल करना बहुत है जरूरी,
सामाजिक नहीं, आपस में रखिये शारीरिक दूरी।

©yamini gaur

corona #LastNight

10 Love

उम्र 18 हो या 21... सवाल घुंगघट का, बवाल दहेज का। ताने समाज के, उड़ते परख्च्चे स्त्री के मान के। सवाल चौखट की आड़ का, बवाल सपनों की उड़ान का। नारे 'बेटी पढ़ाओ' के, घुटते गले 'बेटी बचाओ' के। सवाल बाल विवाह का, बवाल बलात्कार का। एक तरफ चर्चे आज़ादी के, दूसरी तरफ सिकुड़ते हुए पंख नारी के। ©yamini gaur

#विचार #WomenMarriage #Luminance #Women  उम्र 18 हो या 21...

सवाल घुंगघट का, 
बवाल दहेज का।
ताने समाज के, 
उड़ते परख्च्चे स्त्री के मान के।

सवाल चौखट की आड़ का,
बवाल सपनों की उड़ान का।
नारे 'बेटी पढ़ाओ' के,
घुटते गले 'बेटी बचाओ' के।

सवाल बाल विवाह का,
बवाल बलात्कार का।
एक तरफ चर्चे आज़ादी के,
दूसरी तरफ सिकुड़ते हुए पंख नारी के।

©yamini gaur

गांव छूटा, घर छूटा। मानो छूट गया संसार।। अपने छूटे, जाने कितने रूठे। बस रह गया सपनों का व्यापार।। होली के रंगों में महक वो अब नहीं आती है। दीवाली की शाम भी कहाँ जगमगाती है।। बहन का प्यार भी अब लिफाफे में लिपटा आता है। कलाई तक आते - आते फीका से पड़ जाता है।। पतंगों की डोर अब कहाँ उलझती है। कागज़ों की कश्ती डूबे कहाँ अब वो बस्ती है।। पिताजी की फटकार को ये कान तरसते हैं। जो मां खिलाये हाथों से वो दिन कहाँ अब इतने सस्ते हैं।। आगे बढ़ने की होड़ में जाने कहाँ निकल आये हैं। हम बड़े तो हो गए मगर वो *बचपन* साथ नहीं ला पाए हैं।। ©yamini gaur

#stairs  गांव छूटा, घर छूटा।
मानो छूट गया संसार।।
अपने छूटे, जाने कितने रूठे।
बस रह गया सपनों का व्यापार।।
होली के रंगों में महक वो अब नहीं आती है।
दीवाली की शाम भी कहाँ जगमगाती है।।
बहन का प्यार भी अब लिफाफे में लिपटा आता है।
कलाई तक आते - आते फीका से पड़ जाता है।।
पतंगों की डोर अब कहाँ उलझती है।
कागज़ों की कश्ती डूबे कहाँ अब वो बस्ती है।।
पिताजी की फटकार को ये कान तरसते हैं।
जो मां खिलाये हाथों से वो दिन कहाँ अब इतने सस्ते हैं।।
आगे बढ़ने की होड़ में जाने कहाँ निकल आये हैं।
हम बड़े तो हो गए मगर वो *बचपन* साथ नहीं ला पाए हैं।।

©yamini gaur

#stairs

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