Rajneesh Ranjan

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सफेद रंग शान्ति का प्रतिक । अपने अन्दर सभी रंगो को समाहित करने का रंग। इन्सान , भले ही मन का काला क्यूं नही हो परंतु तन तो चहता है सफेद ही। ये जो , सफेदपोश होते हैं, उनके ही हाथ काले कारनामओं से रंगे होते हैं । मानो तो काले काम की लिबास है सफेद रंग। बदनाम ना हो जाए इसकी चिंता सताती है। मगर दुसरे की बदनामी समझ नही आती । मतलबपरस्ती की दुनियाँ में , उलझनें अनेक हैं, सभी एक दुसरे को इस्तेमाल की चीज़ समझते हैं । ऐसे मे कौन अपना है, कौन पराया कहना कठिन । कितने भी काले सफेद में बदल दिये जाएँ मगर अन्त मे गालियाँ ही मिलती है। खाने को यारों , किसी को रुपये दे दो। मगर बुद्धि नही। रजनीश रंजन

#poem  सफेद रंग 
शान्ति का प्रतिक ।
अपने अन्दर सभी
रंगो को समाहित 
करने का रंग।
इन्सान , भले ही मन का 
काला क्यूं नही हो 
परंतु तन तो चहता है 
सफेद ही।
ये जो , सफेदपोश होते हैं,
उनके ही हाथ
काले कारनामओं से
रंगे होते हैं ।
मानो तो काले काम की
लिबास है सफेद रंग।
बदनाम ना हो जाए 
इसकी चिंता सताती है।
मगर दुसरे की 
बदनामी समझ नही आती ।
मतलबपरस्ती की दुनियाँ में ,
उलझनें अनेक हैं, 
सभी एक दुसरे को 
इस्तेमाल की चीज़ समझते हैं ।
ऐसे मे कौन अपना है, 
कौन पराया
कहना कठिन ।
कितने भी काले सफेद 
में बदल दिये जाएँ 
मगर अन्त मे गालियाँ 
ही मिलती है। 
खाने को
यारों , किसी को रुपये 
दे दो।
मगर बुद्धि नही।

                    रजनीश रंजन

सफेद रंग

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Truth सफेद रंग शान्ति का प्रतिक । अपने अन्दर सभी रंगो को समाहित करने का रंग। इन्सान , भले ही मन का काला क्यूं नही हो परंतु तन तो चहता है सफेद ही। ये जो , सफेदपोश होते हैं, उनके ही हाथ काले कारनामओं से रंगे होते हैं । मानो तो काले काम की लिबास है सफेद रंग। बदनाम ना हो जाए इसकी चिंता सताती है। मगर दुसरे की बदनामी समझ नही आती । मतलबपरस्ती की दुनियाँ में , उलझनें अनेक हैं, सभी एक दुसरे को इस्तेमाल की चीज़ समझते हैं । ऐसे मे कौन अपना है, कौन पराया कहना कठिन । कितने भी काले सफेद में बदल दिये जाएँ मगर अन्त मे गालियाँ ही मिलती है। खाने को यारों , किसी को रुपये दे दो। मगर बुद्धि नही। रजनीश रंजन

 Truth सफेद रंग 
शान्ति का प्रतिक ।
अपने अन्दर सभी
रंगो को समाहित 
करने का रंग।
इन्सान , भले ही मन का 
काला क्यूं नही हो 
परंतु तन तो चहता है 
सफेद ही।
ये जो , सफेदपोश होते हैं,
उनके ही हाथ
काले कारनामओं से
रंगे होते हैं ।
मानो तो काले काम की
लिबास है सफेद रंग।
बदनाम ना हो जाए 
इसकी चिंता सताती है।
मगर दुसरे की 
बदनामी समझ नही आती ।
मतलबपरस्ती की दुनियाँ में ,
उलझनें अनेक हैं, 
सभी एक दुसरे को 
इस्तेमाल की चीज़ समझते हैं ।
ऐसे मे कौन अपना है, 
कौन पराया
कहना कठिन ।
कितने भी काले सफेद 
में बदल दिये जाएँ 
मगर अन्त मे गालियाँ 
ही मिलती है। 
खाने को
यारों , किसी को रुपये 
दे दो।
मगर बुद्धि नही।

                    रजनीश रंजन

सफेद रंग

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Trust me यहाँ लोग अपनी ग़लती नहीं मानते, किसी को अपना कैसे मानेंगे......

 Trust me यहाँ लोग अपनी ग़लती नहीं मानते,
किसी को अपना कैसे मानेंगे......

Trust me यहाँ लोग अपनी ग़लती नहीं मानते, किसी को अपना कैसे मानेंगे......

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Ek Tarfa Pyar

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सलीक अदब का बरकरार रखिये। रंजिशे अपनी जगह सलाम अपनी जगह ।

#संगीत  सलीक अदब का 
बरकरार रखिये।
रंजिशे अपनी जगह
सलाम अपनी जगह ।

सलीक अदब का बरकरार रखिये। रंजिशे अपनी जगह सलाम अपनी जगह ।

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