कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

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#समाज #shivbhakti  

आई सावन मास हैं, हो रही बरसात है,
सावनी फुहार देखो,सबो मन भाया है।

तन भगवा चोला हैं,मनाने चले भोला है,
भोले मन वाले सदा,भोले मन भाया है।

छम-छम नाच रहे,भोले-भोले जाप रहे,
भोले के दीवाने सभी,शम्भू मन भाया है।

कांवर ले भक्त चले,मीलों मील वो न थके,
आस्था विश्वास के दीप,मन मे जलाया है।

©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

#shivbhakti

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#आजाद_था_आजाद_हूँ_आजाद_ही_रहूँगा_मैं #आजादी_का_अमृत_महोत्सव #ChandraShekharAzaad #प्रेरक #indianIndenceHero #poertry  आजाद था,आजाद हूँ ,आजाद ही रहूँगा मैं,
माँ भारती के सपने,पूरन करूंगा मैं।

जब तलक प्राण है,जब तलक जान है,
जान की बाजी लगाके,शान से मरूंगा मैं।

जब जब घात होगा,जब प्रतिघात होगा,
अंग्रेज हो या कोई भी,कभी न डरूँगा मैं।

अटल मेरा प्रण है,मेरा सब अर्पण है,
क्रांति ज्वाला से देश आज़ाद करूँगा मैं।

©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

भगवा भगवा केवल ध्वजा नही है, शौर्य तेज का द्योतक है। वीरों की निशानी भगवा, राष्ट्र धर्म का उद्घोषक है। भगवा लेकर उगता सूर्य, भगवा के संग अस्त होता है। भगवा बाना पहने हर युवा, वीर बजरंग सा मस्त होता है। यही भगवा की ताकत, वीर शिवा ने दिखाया था। भगवा के बल पर विवेकानन्द ने, विश्व में परचम लहराया था। जो इतिहास से थाती मिला है, उसे अपना सिलक बनाना है। सदा सीना तान कर चलना, माथे पर भगवा तिलक लगाना इस ताकत को जानो-समझो, भारत का हर एक युवा। तेरे सामने कोई न टिक पायेगा, हो जाएगा धुँआ धुँआ। ©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

#पौराणिककथा #ध्वज #भगवा  भगवा 
भगवा केवल ध्वजा नही है,
शौर्य तेज का द्योतक है।
वीरों की निशानी भगवा,
राष्ट्र धर्म का उद्घोषक है।
भगवा लेकर उगता सूर्य,
भगवा के संग अस्त होता है।
भगवा बाना पहने हर युवा,
वीर बजरंग सा मस्त होता है।
यही भगवा की ताकत,
वीर शिवा ने दिखाया था।
भगवा के बल पर विवेकानन्द ने,
विश्व में परचम लहराया था।
जो इतिहास से थाती मिला है,
उसे अपना सिलक बनाना है।
सदा सीना तान कर चलना,
माथे पर भगवा तिलक लगाना
इस ताकत को जानो-समझो,
भारत का हर एक युवा।
तेरे सामने कोई न टिक पायेगा,
हो जाएगा धुँआ धुँआ।

©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा
#पौराणिककथा #Hindu_nav_varsh #jai_shree_ram #ramnavmi  धरा सुसज्जित,नभ नीलाम्बर,
वादियों में है उत्कर्ष।
मन प्रफुल्लित,आत्मा विशुध्द,
हृदय में हैं  हर्ष।

उत्साह व्याप्त,न्यूनावेश,
खुशियाँ प्रस्फुटित सहर्ष।
क्लेश द्वेष संताप नष्ट हो,
नष्ट हो प्रत्येक कर्ज।

दया प्रेम यशगान प्रवाहित,
सरस निर्मल स्पर्श।
अलौकिक अनुपम दृश्य विहंगम,
जन्मोत्सव मेरे प्रभु श्रीराम का,
दृष्टि सृष्टि संतृप्ति पाती,
ऐसा मेरा हिन्दू नववर्ष।
                   
आपको सपरिवार
 रामनवमी और हिन्दू नववर्ष
 की असीम बधाई व शुभकामनाएं..🚩🙏🏻

©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

तू देख जिंदगी, तेरे लिए मैंने, खुद को दांव पर लगा दिया..😌 ©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

#ज़िन्दगी  तू देख जिंदगी,
तेरे लिए मैंने,
खुद को दांव पर लगा दिया..😌

©कवि प्रदीप साहू कुँवरदादा

जिंदगी..

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#लव

बारिश और उसकी यादें.... कवि प्रदीप साहू "कुँवरदादा"

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