हां मैं खुद को समझता हूं के थोड़ा ना समझ हूं
बच्चों में बच्चों की तरह रहता हूं
हां मैं मानता हूं के मेरा लहजा गलत था
मगर ये भी जरूरी नहीं था के तुम मुझे चांटा मारते
सुनो,,,जब से तुमने मारा है मैं खुद में खामोश हूं
मेरी हंसी पर मत जाना????
कोई शख्स है जो मुझ में हंसता है
ये राज पुराना है
तेरा वो किरदार मैं भुला ही ना पाया
गरीब समझकर ही तुमने मारा था
अपनापन क्या होता है मैंने देख लिया
मैं तो भ्रम की दीवार हूं एक चाटे में तूने तोड़ दिया
चलो कोई बात नहीं जो हुआ ठीक हुआ
मैं पागल ही तो हूं थोड़ा और हो जाऊंगा
कमी अगर रह गई हो
तो दोबारा मार लेना
✍️रेड रोज प्रजापति
7300787899
©Red Rose
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