Roy Manu

Roy Manu Lives in Patna, Bihar, India

Passionate to create Storm.

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जब थक जाओ, दुनिया की महफिल से तुम, आवाज देना, मैं अक्सर खाली ही रहता हूंँ !! ©Roy Manu

#Quotes #mahfil #Pyar #dawa #Hum  जब थक जाओ, दुनिया की महफिल से तुम,
आवाज देना, मैं अक्सर खाली ही रहता हूंँ !!

©Roy Manu

#mahfil #dawa #Pyar #Love #Hum

11 Love

इमारतें, रास्ते, बसरे, सब नए दिख रहे थे, चौड़ा हो गया है, कँगन घाट का किनारा, पर उन गलियों में, वो ठहड़ाव नहीं थी, अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी! किताबें, मेजें, पगडंडियाँ, सब यूँ ही उलझे थे, रातें व जुगनू व अलग-थलग दिखे, शायद उनमें भी बची, वो सद्भाव(प्यार) नहीं थी, अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी! इमरती, जलेबी, समोसे, सब वैसे ही लगे, वही स्वाद थी, कुल्हड़-चाय, बदाम और मखाने में भी, पर लस्सी, छ़ाछ़ में, वो रसाव नहीं थी, अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी! बैट-बॉल, गिल्ली-डंडें, गाड़ियाँ, सब यूँ ही धरे(रखे) थे, खिलते थे मिलते ही, अब रुष्ट(नराज) थी, वो निगाहें, शायद बचपन की यारी, वो साथ नहीं थी, अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी! नदियाँ, रेत और कशती, सब ठिठके थे, वैसे ही थी गंगाजल, पवित्र, मीठी व ठंडी शायद हल्फों (लहरों) में, वो उमड़ाव नहीं थी, अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी! थोड़ा पराया लगने लगा है ये शहर, उस रेत के टीले से छोटा भी दिखने लगा है, शायद हममें, वो लगाव नहीं थी, अबकी बार लौटा तो इस शहर में, वो बात नहीं थी! ©Roy Manu

#walkalone #Missing #Sahar  इमारतें, रास्ते, बसरे, सब नए दिख रहे थे,
चौड़ा हो गया है, कँगन घाट का किनारा,
पर उन गलियों में, वो ठहड़ाव नहीं थी,
अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी!

किताबें, मेजें, पगडंडियाँ, सब यूँ ही उलझे थे,
रातें व जुगनू व अलग-थलग दिखे,
शायद उनमें भी बची, वो सद्भाव(प्यार) नहीं थी,
अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी!

इमरती, जलेबी, समोसे, सब वैसे ही लगे,
वही स्वाद थी, कुल्हड़-चाय, बदाम और मखाने में भी,
पर लस्सी, छ़ाछ़ में, वो रसाव नहीं थी,
अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी!

बैट-बॉल, गिल्ली-डंडें, गाड़ियाँ, सब यूँ ही धरे(रखे) थे,
खिलते थे मिलते ही, अब रुष्ट(नराज) थी, वो निगाहें,
शायद बचपन की यारी, वो साथ नहीं थी,
अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी!

नदियाँ, रेत और कशती, सब ठिठके थे,
वैसे ही थी गंगाजल, पवित्र, मीठी व ठंडी
शायद हल्फों (लहरों) में, वो उमड़ाव नहीं थी,
अबकी बार लौटा तो, शहर में वो बात नहीं थी!

थोड़ा पराया लगने लगा है ये शहर,
उस रेत के टीले से छोटा भी दिखने लगा है,
शायद हममें, वो लगाव नहीं थी,
अबकी बार लौटा तो इस शहर में, वो बात नहीं थी!

©Roy Manu
#prempatra #लव  प्रेत आएगा, किताब से निकाल ले जाएगा ‘प्रेमपत्र’,
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खाएगा!
चोर आएगा तो, ‘प्रेमपत्र’ चुराएगा, 
जुआरी ‘प्रेमपत्र’ पर ही दाँव लगाएगा!

ऋषि आएँगे तो दान में माँगेंगे ‘प्रेमपत्र’ 
बारिश आएगी तो, ‘प्रेमपत्र’ ही गलाएगी!
आग आएगी तो जलाएगी ‘प्रेमपत्र’, 
बंदिशें ‘प्रेमपत्र’ पर ही लगाई जाएँगी! 

साँप आएगा तो डँसेगा ‘प्रेमपत्र’,
झींगुर आएँगे तो चाटेंगे ‘प्रेमपत्र’! 
कीड़े ‘प्रेमपत्र’ ही काटेंगे ,
प्रलय के दिनों में, सप्तर्षि, मछली और मनु सब वेद बचाएँगे,
कोई नहीं बचाएगा ‘प्रेमपत्र’!

कोई रोम बचाएगा, कोई मदीना 
कोई चाँदी बचाएगा, कोई सोना 
मैं निपट अकेला, कैसे बचाऊँगा तुम्हारा “प्रेमपत्र’’?



~ BadriNarayan

©Roy Manu

#prempatra #Love

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प्रेत आएगा, किताब से निकाल ले जाएगा ‘प्रेमपत्र’, गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खाएगा! चोर आएगा तो, ‘प्रेमपत्र’ चुराएगा, जुआरी ‘प्रेमपत्र’ पर ही दाँव लगाएगा! ऋषि आएँगे तो दान में माँगेंगे ‘प्रेमपत्र’ बारिश आएगी तो, ‘प्रेमपत्र’ ही गलाएगी! आग आएगी तो जलाएगी ‘प्रेमपत्र’, बंदिशें ‘प्रेमपत्र’ पर ही लगाई जाएँगी! साँप आएगा तो डँसेगा ‘प्रेमपत्र’, झींगुर आएँगे तो चाटेंगे ‘प्रेमपत्र’! कीड़े ‘प्रेमपत्र’ ही काटेंगे , प्रलय के दिनों में, सप्तर्षि, मछली और मनु सब वेद बचाएँगे, कोई नहीं बचाएगा ‘प्रेमपत्र’! कोई रोम बचाएगा, कोई मदीना कोई चाँदी बचाएगा, कोई सोना मैं निपट अकेला, कैसे बचाऊँगा तुम्हारा “प्रेमपत्र’’? ©Roy Manu

#कविता #prempatra  प्रेत आएगा, किताब से निकाल ले जाएगा ‘प्रेमपत्र’,
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खाएगा!
चोर आएगा तो, ‘प्रेमपत्र’ चुराएगा, 
जुआरी ‘प्रेमपत्र’ पर ही दाँव लगाएगा!

ऋषि आएँगे तो दान में माँगेंगे ‘प्रेमपत्र’ 
बारिश आएगी तो, ‘प्रेमपत्र’ ही गलाएगी!
आग आएगी तो जलाएगी ‘प्रेमपत्र’, 
बंदिशें ‘प्रेमपत्र’ पर ही लगाई जाएँगी! 

साँप आएगा तो डँसेगा ‘प्रेमपत्र’,
झींगुर आएँगे तो चाटेंगे ‘प्रेमपत्र’! 
कीड़े ‘प्रेमपत्र’ ही काटेंगे ,
प्रलय के दिनों में, सप्तर्षि, मछली और मनु सब वेद बचाएँगे,
कोई नहीं बचाएगा ‘प्रेमपत्र’!

कोई रोम बचाएगा, कोई मदीना 
कोई चाँदी बचाएगा, कोई सोना 
मैं निपट अकेला, कैसे बचाऊँगा तुम्हारा “प्रेमपत्र’’?

©Roy Manu

#prempatra

15 Love

#सस्पेंस #अचूक  शर साध रखा हूं, दर्पण पर,

शिकारी भी हूं!

  निशाना भी................

©Roy Manu

#अचूक

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#ज़िन्दगी #OneSeason #written #lyrics #copied #Rap  ये वो शहर है, जिसमे नफरतों की बस्तियाँ
मासूमियत का घर तो, राख बनके रह गया !
मशालें झूठ की लिए खड़े वो हर तरफ
और सहमा सच वो उनकी आंखें से था बह गया !!

मैं वो हलात देख बातें कुछ, समझ गया हूँ
हाँ प्यारी बात करके सच कहूँ  तो, थक गया हूँ !
जमाना देख जबसे बिगड़ी, मेरी हरकतें हैं
खुदा कसम लगे हैं, जैसे मैं निखर गया हूँ !!

ये जो भी सुन रहे, वो सिर्फ कुछ कहानियाँ हैं
मुझे ही है पता कि, कितनी मुझे खामियाँ है !
हाँ खोले राज मैंने जिनमे, मैं सही दिखूं
मैं जिनमे गलत था, वो राज फिर छुपा लिया है !!

मुझे सुधारना वो चाहे, देके कसमें रब की
मैं खुद को मौत दे चुका हूँ जाने, जाना कब की !
ये जिंदगी तो, छिन लाया वक्त से चुरा के
मगर मैं कीमते चूका रहा हूँ, गुजरे कल की !!

                                  🔥

©Roy Manu

#copied #Rap #lyrics #written by AKHIL REDHU youtube: https://youtu.be/8SPrXevUV-E #OneSeason

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