वो शख्स मुझे नही मेरी शख्सियत जानता है,,
मैं लाख चेहरे पहनूँ वो मेरी तबियत जानता है,,
गुलाबों से अब ज़रा बचकर चलता हूं जनाब,,
एक ज़ख्म पुराना मरहम की कीमत जानता है,,
वो जो दीवार के साये में पड़ा है बेफिक्र होकर,,
यकीनन वो मोहोब्बत की अहमियत जानता है,,
लफ्ज़ बे लफ्ज़ आप बहला न पाओगे साहब,,
क़ातिल खामोशियों की रूहानियत जानता है,,
तू दरिया है तो जा बह जहां तक है तेरी हस्ती,,
महताब सात ओ समंदर की नीयत जानता है,,
जो गुज़रे विरानें इलाक़ों से तो मालूम हुआ है,,
हर शख्स दूसरे को अपनी जरूरत जानता है,,
उल्फत को ख़बर कहाँ तुम जैसो के होने का,,
नासमझ है जो इश्क़ को मिल्कियत जानता है,, .
©MORNING STAR
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