दिल जिसे ढूंढता चला आया -२
मुझको मिलती नहीं है दुनिया में,
दिल जिसे ---------------
रोज फिरता रहा हूं गलियों में,
फिर भी एक स्वाद सी बैचैनी है। -२
दिल ने भेजे है मन को तार कई ,
में उसी तार पे चला आया।
दिल जिसे ढूंढता चला आया -----
ये उमर भी तो एक तपस्या है,
हर घड़ी हर कदम समस्या है।-२
जिन्दगी द्वार थे कई तेरे,
द्वार सब खोल मै चला आया।
दिल जिसे ढूंढता --------
ज़िन्दगी क्या है अब समझना है,
दिल जो चाहे वही अब करना है।-२
छोड़ दुनिया की भीड़ को मै तो,
राम - हरि धाम मै चला आया।
दिल जिसे ----
( By - Rahul Tiwari )
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