Deepa Ruwali

Deepa Ruwali

writer u Tuber

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बेफिक्री के साथ जिंदगी के रास्ते में चलते रहे, दिन भी बेबसी और लाचारी में ही ढलते रहे। सपनों की उड़ान के लिए ख़ुद में पंख लगा न पाए, वक्त जब हाथ से निकल गया तो हाथ मलते रहे। ©Deepa Ruwali

 बेफिक्री के साथ जिंदगी के रास्ते में चलते रहे,
  दिन भी बेबसी और लाचारी में ही ढलते रहे।
सपनों की उड़ान के लिए ख़ुद में पंख लगा न पाए,
वक्त जब हाथ से निकल गया तो हाथ मलते रहे।

©Deepa Ruwali

#stilllife #Shayar #shayaari #poeatry #Poetry #शायरी #writer #Life

13 Love

मेरे सिर पर हमेशा गमों का साया रहा, कितने खुशियों के उजाले न जाने तेरे पास आए। मेरे हिस्से में तो सदा ही ये काली रात आई, और तेरे हिस्से में न जाने कितने चांद आए। ©Deepa Ruwali

 मेरे सिर पर  हमेशा गमों का साया रहा,
कितने खुशियों के उजाले न जाने तेरे पास आए।
मेरे हिस्से में तो सदा ही ये काली रात आई,
और तेरे हिस्से में न जाने कितने चांद आए।

©Deepa Ruwali

#Glazing #sad #poeatry #Shayar #Shayari #shayri #शायरी #thought #write #treanding

15 Love

दर्द के बादल दिल में गरज रहे हैं और बरसात आंखों से हो रही है हमें तो अब जीना भी गवारा नहीं, ये गुस्ताखी तो सांसों से हो रही है। ©Deepa Ruwali

#शायरी #sad_feeling #treanding #thought #shayri  दर्द के बादल दिल में गरज रहे हैं
और बरसात आंखों से हो रही है
हमें तो अब जीना भी गवारा नहीं,
ये गुस्ताखी तो सांसों से हो रही है।

©Deepa Ruwali

White बुलंदियों को छूने की चाह लिए बैठे हैं, जो राह ठीक नहीं वही राह लिए बैठे हैं। कहते हैं आसमां और हमारे बीच फासले बहुत हैं अभी, कैसे पहुचेंगे वहां जब दामन जमीं का थाम लिए बैठे हैं। ©Deepa Ruwali

 White  बुलंदियों को छूने की चाह लिए बैठे हैं,
   जो राह ठीक नहीं वही राह लिए बैठे हैं।
कहते हैं आसमां और हमारे बीच फासले बहुत हैं अभी,
    कैसे पहुचेंगे वहां जब दामन जमीं का थाम लिए बैठे हैं।

©Deepa Ruwali

#sad_shayari #shayaari #poeatry #शायरी #thought #Shayar #sad #Life

16 Love

अब लोग कहां किसी से कोई गुफ़्तगु किया करते हैं, बेजान हैं तभी तो शायद मुर्दों की तरह जिया करते हैं। मैं अपने ज़ख्मों को बयां करूं भी तो किसके दरपेश करूं? अब कहां इस जहां में कोई हमदर्द हुआ करते हैं । ©D.R. divya (Deepa)

#शायरी #thought #poeatry #Shadow #shyari  अब लोग कहां किसी से कोई गुफ़्तगु किया करते हैं,
   बेजान हैं तभी तो शायद मुर्दों की तरह जिया करते हैं।
   मैं अपने ज़ख्मों को बयां करूं भी तो किसके दरपेश करूं?
   अब कहां इस जहां में कोई हमदर्द हुआ करते हैं ।

©D.R. divya (Deepa)

#Shadow #SAD #poeatry #shyari #Shayari #thought #

15 Love

White रईसी का गुमान आज अपनी इस रईसी पर गुमान किया करते हो, और हमें सदा अपमान ही दिया करते हो। लगता है तुम्हें तुम रहोगे अपने ही हाल में सदा, और हमारी दरिद्रता भी कभी साथ न छोड़ेगी। इक दिन ज़रूर ये सब नहीं रहेगा, तुम भले ही रहो अपने इसी हाल में लेकिन हमारा जरूर वक्त बदलेगा। उस रोज़ तुम्हारा हृदय अवश्य आराम पाएगा, फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आयेगा। हमसे कोई भी नाता न रखने की चाहत है तुम्हारी, तुम्हारे इस अंदाज़ से हृदय ही नहीं, देह भी आहत है हमारी, तुम हर दफ़ा दूरियां ही खोजते हो हमसे, शायद सोचते हो कि कोई गंदी बू आती है हमारे तन से। तुम्हारा बनाया ये फासला सदा के लिए न रह पाएगा, फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा। दिखावे के लिए तुम जरूर इक साथी भी बन जाओगे, भीतर से कभी कोई अपनेपन का भाव न बुन पाओगे। तुम्हारा ये रईसाना इस झूठे नाते को भी न रहने देगा, हर मोड़ पर कैसे हमारा ये मन तुम्हारे इस दंभ के कांटे को सहने देगा? इक रोज़ अवश्य तुम्हारे इस दर्प की शमा बुझ जायेगी, उसी दिन से तुम्हारे मन की मदमस्तता भी शायद रुक जाएगी । अमीरों की सूची में हमारा भी इक नाम आएगा, फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा। ©D.R. divya (Deepa)

#कविता #thought #writing #poeatry #Shayar  White 
रईसी का गुमान

आज अपनी इस रईसी पर गुमान किया करते हो,
     और हमें सदा अपमान ही दिया करते हो।
लगता है तुम्हें तुम रहोगे अपने ही हाल में सदा,
और हमारी दरिद्रता भी कभी साथ न छोड़ेगी।
   इक दिन ज़रूर ये सब नहीं रहेगा,
     तुम  भले ही रहो अपने इसी हाल में 
लेकिन हमारा जरूर वक्त बदलेगा।
उस रोज़ तुम्हारा हृदय अवश्य आराम पाएगा,
   फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आयेगा।
  
हमसे कोई भी नाता न रखने की चाहत है तुम्हारी,
    तुम्हारे इस अंदाज़ से हृदय ही नहीं,
      देह भी आहत है हमारी,
  तुम हर दफ़ा दूरियां ही खोजते हो हमसे,
  शायद सोचते हो कि कोई गंदी बू आती है हमारे तन से।
तुम्हारा बनाया ये फासला सदा के लिए न रह पाएगा,
  फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा।

  दिखावे के लिए तुम जरूर इक साथी भी बन जाओगे,
    भीतर से कभी कोई अपनेपन का भाव न बुन पाओगे।
तुम्हारा ये रईसाना इस झूठे नाते को भी न रहने देगा,
  हर मोड़ पर कैसे हमारा ये मन तुम्हारे इस दंभ के कांटे को सहने देगा?
    इक रोज़ अवश्य तुम्हारे इस दर्प की शमा बुझ जायेगी,
    उसी दिन से तुम्हारे मन की मदमस्तता भी शायद रुक जाएगी ।
      अमीरों की सूची में हमारा भी इक नाम आएगा,
      फिर कभी तुम्हारे भीतर ये रईसी का गुमान न आएगा।

©D.R. divya (Deepa)
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