White कुछ बदली बदली सी हूं मैं
दिल कुछ नए ख़्वाब सजाने लगा है,
कभी ज़रूरत रहती थी किसी की
पर अब अकेलापन भाने लगा है,
अब बेचैन नहीं हूं ना उसे पाने की ज़िद्द है
दिल ख़ुद को ही ख़ुद से मिलाने लगा है,
कभी रो देती थी ज़रा सी तेज़ आवाज़ से भी
अब कड़वी बातें दिल भुलाने लगा है,
ना खुशी में चहकती हूं अब,ना गम में उदास होती हूं
मुझमें एक ठहराव सा आने लगा है,
एक उदासियों की चादर सी थी,कुछ गम के अंधेरे थे
उम्मीद का एक दीपक अब जगमगाने लगा है,
भीड़ नहीं,बस कुछ हीरे से दोस्त साथ रखती हूं,
मुखौटों के पीछे का सच नज़र आने लगा है
जलील होने की हद तक मोहब्बत कर ली मैंने
अब सही गलत समझ आने लगा है,
प्यार तो अब भी बेशुमार है उनसे,पर
अब ज़्यादा ख़ुद ही पे प्यार आने लगा है...
©Mili
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here