अनकहे शब्द

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जीवन ही है जीवनी, अंत अभी दूर है। कैसे लिखूं जीवनी, जिंदगी अपूर्ण है।

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चंद सिक्कों पर टिकी हैं यारियां सारी, सिर्फ मतलब के लिए है सब रिश्तेदारी। कौन है इस जहां में भला खरा सिक्का, खोंट के विष से भरी है ये दुनिया सारी।। ✍️ बंसीधर ©अनकहे शब्द

#शायरी  चंद सिक्कों पर टिकी हैं यारियां सारी,
सिर्फ मतलब के लिए है सब रिश्तेदारी।
कौन है इस जहां में भला खरा सिक्का,
खोंट के विष से भरी है ये दुनिया सारी।।

✍️ बंसीधर

©अनकहे शब्द

@अनकहे शब्द @BwithT

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#शायरी #lonely

#lonely

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#सस्पेंस

waaah

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खूब पहनो बुरखा, खूब ओढ़ो हिजाब। बांधे रखो स्त्रियां या उड़ने दो बेहिसाब। धर्म निभाओ खूब इसकी कब पाबंदी है। शिक्षालय में किन्तु सियासत ये गन्दी है। एक समान शिक्षा का दर्शन निभा रहा है। यह समाज हम सबको आगे बढ़ा रहा है। जो शिक्षा का कानून कहे उसको तो मानो। हो सभ्य, नीति नियमों संग खुद को जानो। अड़े रहे गर स्कूलों में तुम लेकर यूँ पोशाक। राजनीति के आगे फिर शिक्षा होगी खाक। न मानो तुम वेद ग्रन्थ और न मानो क़ुरआन। विद्यालय के अंदर सब विद्यार्थी एक समान। एक नीति, एक ही नियम और एक संविधान। विद्यालयी नियम है "बंसी" सबका एक परिधान। ©अनकहे शब्द

#विचार  खूब पहनो बुरखा, खूब ओढ़ो हिजाब।
बांधे रखो स्त्रियां या उड़ने दो बेहिसाब।

धर्म निभाओ खूब इसकी कब पाबंदी है।
शिक्षालय में किन्तु सियासत ये गन्दी है।

एक समान शिक्षा का दर्शन निभा रहा है।
यह समाज हम सबको आगे बढ़ा रहा है।

जो शिक्षा का कानून कहे उसको तो मानो।
हो सभ्य, नीति नियमों संग खुद को जानो।

अड़े रहे गर स्कूलों में तुम लेकर यूँ पोशाक।
राजनीति के आगे फिर शिक्षा होगी खाक।

न मानो तुम वेद ग्रन्थ और न मानो क़ुरआन।
विद्यालय के अंदर सब विद्यार्थी एक समान।

एक नीति, एक ही नियम और एक संविधान।
विद्यालयी नियम है "बंसी" सबका एक परिधान।

©अनकहे शब्द

चल रही अंधड़, अंधेरा हो रहा है। माँ भारती ये, देश में क्या हो रहा है? सिर के कपड़े से भला फर्क इतना..! कर्नाटका में सिर्फ नाटक हो रहा है।

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#पौराणिककथा

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#अनकहेशब्द #बंसीधर #शायरी #Kathakaar #bwitht
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