Anshul tiwari

Anshul tiwari Lives in Raipur, Chhattisgarh, India

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मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं । दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… । सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे.. सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे… अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे… । । मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है… बंजर माटी में पलकर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है… । मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… शीशे से कब तक तोड़ोगे.. मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ ..शीशे से कब तक तोड़ोगे.. मिटने वाला मैं नाम नहीं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे…।। इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है …. तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है ।। मैं सागर से भी गहरा हूँ…तुम कितने कंकड़ फेंकोगे.. मैं सागर से भी गहरा हूँ…तुम कितने कंकड़ फेंकोगे.. चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे..।। झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं.. अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं… तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे… तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे… तब तपकर सोना बनूंगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।।

#कविता #SunSet  मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं ।
दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… ।
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे..
सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे…
अपनी हद रौशन करने से,
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे… । ।
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है…
बंजर माटी में पलकर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है… ।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… शीशे से कब तक तोड़ोगे..
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ ..शीशे से कब तक तोड़ोगे..
मिटने वाला मैं नाम नहीं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।
इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है ….
तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है ।।
मैं सागर से भी गहरा हूँ…तुम कितने कंकड़ फेंकोगे..
मैं सागर से भी गहरा हूँ…तुम कितने कंकड़ फेंकोगे..
चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे..।।
झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..
अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं…
तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…
तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…
तब तपकर सोना बनूंगा मैं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।।

#SunSet

9 Love

जितन अपने थे सब पराये थे हम हवा को गले लगये जितनी कसमे थी सब थी शर्मिंदा जितने वादे थे सर झुकाए थे जितने आँसू थे सब थे बेगाने जितने महेमा थे बिन बलाये थे सब किताबे पढ़ी पढ़ाई थी सारे किस्से सुने सुनाये थे एक बंजर ज़मीं के सीने में मैंने कुछ अस्मा उगाये थे

#शायरी  जितन अपने थे सब पराये थे
हम हवा को गले लगये 

जितनी कसमे थी सब थी शर्मिंदा 

जितने वादे थे सर झुकाए थे 

जितने आँसू थे सब थे बेगाने 

जितने महेमा थे बिन बलाये थे 

सब किताबे पढ़ी पढ़ाई थी 

सारे किस्से सुने सुनाये थे 

एक बंजर ज़मीं के सीने में 

मैंने कुछ अस्मा उगाये थे

जितन अपने थे सब पराये थे हम हवा को गले लगये जितनी कसमे थी सब थी शर्मिंदा जितने वादे थे सर झुकाए थे जितने आँसू थे सब थे बेगाने जितने महेमा थे बिन बलाये थे सब किताबे पढ़ी पढ़ाई थी सारे किस्से सुने सुनाये थे एक बंजर ज़मीं के सीने में मैंने कुछ अस्मा उगाये थे

9 Love

झूठ से सच से जिससे भी यारी रखें, आप बस अपनी तक़रीर जारी रखें इन दिनों आप मालिक हैं बाजार के, जो भी चाहें वो कीमत हमारी रखें बात मन की कहें या वतन की कहें झूठ बोलें तो आवाज़ भारी रखें – राहत इन्दोरी

#शायरी  झूठ से सच से जिससे भी यारी रखें,
आप बस अपनी तक़रीर जारी रखें
इन दिनों आप मालिक हैं बाजार के,
जो भी चाहें वो कीमत हमारी रखें
बात मन की कहें या वतन की कहें
झूठ बोलें तो आवाज़ भारी रखें

– राहत इन्दोरी

झूठ से सच से जिससे भी यारी रखें, आप बस अपनी तक़रीर जारी रखें इन दिनों आप मालिक हैं बाजार के, जो भी चाहें वो कीमत हमारी रखें बात मन की कहें या वतन की कहें झूठ बोलें तो आवाज़ भारी रखें – राहत इन्दोरी

9 Love

“Nayi nayi aankhein ho to har manzar achha lagta hai, Kuchh din sheher mein ghoome lekin ab ghar achha lagta hai”

#प्रेरक #Bicycle  “Nayi nayi aankhein ho to har manzar achha lagta hai,
Kuchh din sheher mein ghoome lekin ab ghar achha lagta hai”

#Bicycle

9 Love

" सूरमा जिस के किनारों से पलट आते हैं मैं ने कश्ती को उतारा है उसी पानी में "

#विचार  "
सूरमा जिस के किनारों से पलट आते हैं
मैं ने कश्ती को उतारा है उसी पानी में
"

" सूरमा जिस के किनारों से पलट आते हैं मैं ने कश्ती को उतारा है उसी पानी में "

10 Love

पहले खुद को पहचान लो, दुनियां अपने आप,आपको पहचान जायेगी। 🤔🤔🤔🤔

 पहले खुद को पहचान लो,
दुनियां अपने आप,आपको पहचान जायेगी।
🤔🤔🤔🤔

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10 Love

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