Writer Abhishek Anand 96

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मेरी मोहब्बत से ज़्यादा तेरी इज्जत ज़रूरी है.... जों आई आचरण पर बात तुम्हारी तो बन अजनबी अपने को अपनों से दुर कर जाऊंगा... instà - @abhishek_singh_ljp

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चलो आज कुछ अपने बारे में मैं तम्हे बताता हूँ... मोर्डन जमाने का मैं लड़का पुराना हूँ... शेरों शायरी में मशगूल हूँ, भक्ति भाव से विभोर हूँ... दिखावे से दुर हूँ सादगी से भरपूर हूँ... थोड़ा समझदार भी हूँ, पर दिल का ऐसा, छोटी छोटी बातों पर मन भर भर के रोता हूँ ... सपनों की तलाश में अपनों से दुर हूँ। घर द्वार छोड़, दोस्ती यारी सब तोड़ गाँव की खेत खलिहान छोड़... अनजान शहर में गुमनाम सफर में, हाँ मैं सपनों की तालाश में अपनों से दुर हूँ .... पथ का मैं भटका हुआ पथिक लाचार हूँ.... ©Writer Abhishek Anand 96

#शायरी #alone  चलो आज कुछ अपने बारे में मैं तम्हे बताता हूँ...

 मोर्डन जमाने का मैं लड़का पुराना हूँ...

शेरों शायरी में मशगूल हूँ,
भक्ति भाव से विभोर हूँ...

दिखावे से दुर हूँ 
सादगी से भरपूर  हूँ...

थोड़ा समझदार भी हूँ,
पर दिल का ऐसा,
 छोटी छोटी बातों पर मन भर भर के रोता हूँ ...

 सपनों की तलाश में अपनों से दुर हूँ।
 घर द्वार छोड़, दोस्ती यारी सब तोड़ गाँव की खेत खलिहान छोड़...
अनजान शहर में गुमनाम सफर में,
 हाँ मैं सपनों की तालाश में अपनों से दुर हूँ ....

पथ का मैं भटका हुआ पथिक लाचार हूँ....

©Writer Abhishek Anand 96

#alone

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#कविता #evening  चलो आज कुछ अपने बारे में मैं तम्हे बताता हूँ...

 मोर्डन जमाने का मैं लड़का पुराना हूँ...

शेरों शायरी में मशगूल हूँ,
भक्ति भाव से विभोर हूँ...

दिखावे से दुर हूँ  
सादगी में भरपूर हूँ...

थोड़ा समझदार भी हूँ,
पर  दिल का ऐसा,
जो छोटी छोटी बातों पर मन भर भर के रोता हूँ ...

 सपनों की तलाश में अपनों से दुर हूँ।
 घर द्वार छोड़, दोस्ती यारी सब तोड़ 
गाँव की खेत खलिहान छोड़...
अनजान शहर में गुमनाम सफर में,
 हाँ मैं सपनों की तालाश में अपनों से दुर हूँ ....

पथ का मैं भटका हुआ पथिक लाचार हूँ....

©Writer Abhishek Anand 96

#evening भटका हुआ

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#कविता #Mulaayam  बुरा हमे भी लगता है
दर्द हमे भी होता हैं
पर जताता नही हूँ...

अब अपनापन रास 
नही आता क्युकी
यहां हर कोई मतलब
 के लिए पास आते हैं

©Writer Abhishek Anand 96

#Mulaayam 🙂🥺

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शीर्षक - बिहार एक‌ नजर में पूर्णियां सा प्यारा, मिथिला सा मिठास , मधुबनी सा चित्रकार हूँ, मैं फणिश्वर सा कवि हूॅं, भोला पासवान सा स्वच्छ छवी हूँ, हां बिहारी हूँ मैं ! माँ सीता सी प्यारी , शुन्य का अविष्कारी , चाणक्य सा कूटनीतिज्ञ ! दशरथ सा हथोड़ा ,‌ राजनीति का सवेरा हूँ , हाँ बिहार हूँ मैं ! कोसी सा जिद्दी ,‌ गंगा का स्वच्छ निर्मल धार हूँ, हाँ बिहारी हूँ मैं! मैं ही शारदा , मैं ही उदित, मैं ही हर दिल की आवाज हूं, हां में ही बिहार हूँ ! मैं ही मिथला की मधुर गीत, मैं ही विद्यापति का संगीत हूं, हां मैं बिहार हूं ! गोविंन्द सा बलिदानी कुवर सा, स्वभिमानी दिनकर सा ज्ञानी, देश का गौरव राजेंद्र प्रसाद हूँ मैं, हाँ बिहार हूँ मैं ! अभिषेक सिंह ( पूर्णियां बिहार ) ©Writer Abhishek Anand 96

#SunSetबिहार #कविता  शीर्षक -  बिहार एक‌ नजर में 
पूर्णियां सा प्यारा,
मिथिला सा मिठास ,
मधुबनी सा चित्रकार हूँ,
मैं फणिश्वर सा कवि हूॅं,
भोला पासवान सा स्वच्छ छवी हूँ,
 हां बिहारी हूँ मैं !
 माँ सीता सी प्यारी ,
शुन्य का अविष्कारी ,
चाणक्य सा कूटनीतिज्ञ !
 दशरथ सा हथोड़ा ,‌ 
राजनीति का सवेरा हूँ , 
हाँ बिहार हूँ मैं !
 कोसी सा जिद्दी ,‌
गंगा का स्वच्छ निर्मल धार हूँ, 
हाँ बिहारी हूँ मैं!
मैं ही शारदा ,
मैं ही उदित,
 मैं ही हर दिल की आवाज हूं,
हां में ही बिहार हूँ !
मैं ही मिथला की मधुर गीत,
 मैं ही विद्यापति का संगीत हूं,
 हां मैं बिहार हूं !
  गोविंन्द सा बलिदानी कुवर सा,
  स्वभिमानी दिनकर सा ज्ञानी,
 देश का गौरव राजेंद्र प्रसाद हूँ मैं,
 हाँ बिहार हूँ मैं !

    अभिषेक सिंह 
     (  पूर्णियां बिहार )

©Writer Abhishek Anand 96
#विचार #Walk  मैं नहीं चाहता की तुम 
मेरे सम्मान में जी लगाकर
संबोधन करो,
मैं चाहता हूंँ मुझसे बात करो जैसे
 करती हो अपने दोस्तों से।
तुम मुझसे रूठो 
जैसे राधा रूठती थी कृष्ण से।
जिद करो तुम मुझसे भी
जैसे की थी माँ सीता ने
 प्रभु श्री राम से उस कुंदन सुरभी के लिए।

मेरे स्नेह को संजोह लो 
हृदय में
जैसे चाँद की चाँदनी को
पृथ्वी समांहित कर लेती है
कण कण में ।
तुम्हारे स्नेह में डूब जाऊँ इतना कि
जैसे चाय में शक्कर मिल जाती हो 
 हाँ मैं चाहता हूँ तुम मुझमें डूब जाओ ऐसे जेसे
 कृष्ण की भक्ति में मीरा ।

©Writer Abhishek Anand 96

#Walk तुम

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मुहब्बत का पहली सीढ़ी चढ़ना, कहां कठिन है, लेकिन अंत बड़ा भयानक और जटिल है, किस्मत वाले होते हैं वो जिनका मुक्कमल हो जाता प्रेम है, नहीं तो राधे बिन कृष्ण भी आधे हैं।🙂 ©Writer Abhishek Anand 96

#लव  मुहब्बत का पहली सीढ़ी चढ़ना,
 कहां कठिन है,
लेकिन अंत बड़ा भयानक और जटिल है,
 किस्मत वाले होते हैं वो जिनका मुक्कमल हो जाता प्रेम है,
 नहीं तो राधे बिन कृष्ण भी आधे हैं।🙂

©Writer Abhishek Anand 96

मुहब्बत का पहली सीढ़ी चढ़ना, कहां कठिन है, लेकिन अंत बड़ा भयानक और जटिल है, किस्मत वाले होते हैं वो जिनका मुक्कमल हो जाता प्रेम है, नहीं तो राधे बिन कृष्ण भी आधे हैं।🙂 ©Writer Abhishek Anand 96

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