मेरी तन्हाई का आलम देख,
अब मुझे अक्स मेरा ही छलता है
विरह की लपटों में देख आग अश्को का जैसे बर्फ सा पिघलता है,
मुझको ये मालूम है ,के जो महसूस मुझे एहसास तेरे साथ होने का हो रहा है ,
तेरा फरेब है ये, फिर भी इस फरेबे मोहब्बत से भी मेरी तन्हाइयों का अहसास कुछ कम तो हो रहा है।
आशीष कुमार आशी
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