प्रदूषित हवाए
"जिंदा हूँ मैं.....
थोड़ी रोशनी बची है अभी.
जिंदा हूँ मैं..
बाते अभी बाकी है.
जिंदा हूँ मैं....
सांसे अभी बाकी है.
जिंदा हूँ मैं अभी........."
निर्भर है ये जिंदगी मेरी अब तो
हरे भरे पेड पौधों पर..
जिन्हें नजरअंदाज करा मैंने अब तक.
उगाऊंगी इन्हें दोबारा, जिन्हें काटा
मैंने सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए.
दूंगी इन्हें जिंदगी पहले, अपनी ज़िंदगी वापिस पाने के लिए
तभी छुटकारा मिलेगा मुझे इन दूषित ओर जहरीली हवाओ से.
जिसने फैलाया है अपना आंतक मेरे चारो तरफ..
जिंदा हूँ मैं...सांसे अभी बाकी है.
#मोनिकाकांडपाल
©Monika Kandpal
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