क्यो धर्म ग्रंथ को पढे बीना ,,
यहा धर्म बाँट लिया जाता है।
जो छाँव बांटती मानवता का ,,
धर्म उसी व्रक्ष की शाखा है।
सब लीखते है अपनी भाषा मे,,
जिसे जैसे लिखना आता है।
कोई ऊर्दू की भाषा मे बोले ,,
कोई संस्कृत के श्लोक सुनाता है।
है एक ही मतलब सब धर्मो का ,,
बस अलग अलग सी भाषा है।
वो अज्ञान है,सब धर्मो से,,
जो इनको अलग बताता है।
जो छाँव बांटती मानवता का,,
धर्म उसी व्रक्ष की शाखा है।
©Akash shah
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