Imran bazpuri

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हूँ सभी की नज़र में मुकम्मल मगर ।।। जानता हूँ कि तेरी कमी छोड़ दी ।।। #imranBazpuri

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लीडरों के शराब के धन्धे ।।। ये इन्हीं की दुकान है प्यारे ।।।

#शायरी  लीडरों के शराब के धन्धे ।।।
ये इन्हीं की दुकान है प्यारे ।।।

लीडरों के शराब के धन्धे ।।। ये इन्हीं की दुकान है प्यारे ।।।

10 Love

कि ये है मर्तबा टीपू का ये अज़्मत है टीपू की ।।। मुहब्बत मुल्क़ से, ईमान से ताक़त है टीपू की ।।। कहर बनकर वो टूटा दुश्मनों पर शेर के जैसे ।।। अजब सा खौफ़ दुश्मन में अजब दहशत है टीपू की ।।। फिरंगी क़ौम अब भी नाम सुनकर सर झुकाती है ।।। बहादुर बेटा भारत का वो, ये इज़्ज़्त है टीपू की ।।। कि वो जो मुल्क़ के दुश्मन हैं अब भी खूब चिढ़ते हैं ।।। सताना दुश्मनों को आज भी आदत है टीपू की ।।। ये हिंदुस्तान मेरी जान है ये मुल्क़ है मेरा ।।। यहाँ तुर्बत है ख्वाजा की यहाँ तुर्बत है टीपू की ।।।

#शायरी  कि ये है मर्तबा टीपू का ये अज़्मत है टीपू की ।।।
मुहब्बत मुल्क़ से, ईमान से ताक़त है टीपू की ।।।

कहर बनकर वो टूटा दुश्मनों पर शेर के जैसे ।।।
अजब सा खौफ़ दुश्मन में अजब दहशत है टीपू की ।।।

फिरंगी क़ौम अब भी नाम सुनकर सर झुकाती है ।।।
बहादुर बेटा भारत का वो, ये इज़्ज़्त है टीपू की ।।।

कि वो जो मुल्क़ के दुश्मन हैं अब भी खूब चिढ़ते हैं ।।।
सताना दुश्मनों को आज भी आदत है टीपू की ।।।

ये हिंदुस्तान मेरी जान है ये मुल्क़ है मेरा ।।।
यहाँ तुर्बत है ख्वाजा की यहाँ तुर्बत है टीपू की ।।।

कि ये है मर्तबा टीपू का ये अज़्मत है टीपू की ।।। मुहब्बत मुल्क़ से, ईमान से ताक़त है टीपू की ।।। कहर बनकर वो टूटा दुश्मनों पर शेर के जैसे ।।। अजब सा खौफ़ दुश्मन में अजब दहशत है टीपू की ।।। फिरंगी क़ौम अब भी नाम सुनकर सर झुकाती है ।।। बहादुर बेटा भारत का वो, ये इज़्ज़्त है टीपू की ।।। कि वो जो मुल्क़ के दुश्मन हैं अब भी खूब चिढ़ते हैं ।।। सताना दुश्मनों को आज भी आदत है टीपू की ।।। ये हिंदुस्तान मेरी जान है ये मुल्क़ है मेरा ।।। यहाँ तुर्बत है ख्वाजा की यहाँ तुर्बत है टीपू की ।।।

10 Love

हुआ मगरूर है जो वो उसे मगरूर होने दो ।।। कभी तो होश आयेगा नशे में चूर होने दो ।।। वो कहता है कि मरहम तो तुम्हें देना ज़रूरी है ।।। मगर तुम पहले जख्मों को ज़रा नासूर होने दो ।।।

#शायरी  हुआ मगरूर है जो वो उसे मगरूर होने दो ।।।

कभी तो होश आयेगा नशे में चूर होने दो ।।।

वो कहता है कि मरहम तो तुम्हें  देना ज़रूरी है ।।।

मगर तुम पहले जख्मों को ज़रा नासूर होने दो ।।।

हुआ मगरूर है जो वो उसे मगरूर होने दो ।।। कभी तो होश आयेगा नशे में चूर होने दो ।।। वो कहता है कि मरहम तो तुम्हें देना ज़रूरी है ।।। मगर तुम पहले जख्मों को ज़रा नासूर होने दो ।।।

10 Love

रास्ता चल रहा है रुका हुआ हूँ मैं ।।। आपको लग रहा है थका हुआ हूँ मैं ।।। खुद गिरे जा रहे हो मुझे गिराने में ।।। आप ही को उठाने झुका हुआ हूँ मैं ।।।

 रास्ता चल रहा है रुका हुआ हूँ मैं ।।।

आपको लग रहा है थका हुआ हूँ मैं ।।।

खुद गिरे जा रहे हो मुझे गिराने में ।।।

आप ही को उठाने झुका हुआ हूँ मैं ।।।

रास्ता चल रहा है रुका हुआ हूँ मैं ।।। आपको लग रहा है थका हुआ हूँ मैं ।।। खुद गिरे जा रहे हो मुझे गिराने में ।।। आप ही को उठाने झुका हुआ हूँ मैं ।।।

7 Love

हमें मालूम है अब हिज्र में ही दिन बिताने हैं ।।। हमें ये ज़ब्त और हिम्मत ये दोनो आज़माने हैं ।।। वही कुछ गीत जो तेरा तसव्वुर करके लिक्खे हैं ।।। वही सब गीत मुझको आज इन सबको सुनाने हैं ।।। इजाज़त शायरों को कब है ऐसे खुल के रोने की ।।। रिवाजे शायरी है अश्क़ कागज़ पर गिराने हैं ।।।

 हमें  मालूम  है  अब  हिज्र  में  ही दिन बिताने हैं ।।।

हमें  ये  ज़ब्त  और  हिम्मत ये दोनो आज़माने हैं ।।।

वही  कुछ  गीत जो तेरा तसव्वुर करके लिक्खे हैं ।।।

वही  सब गीत मुझको आज इन सबको सुनाने हैं ।।।

इजाज़त शायरों  को  कब है ऐसे खुल के रोने की ।।।

रिवाजे  शायरी  है  अश्क़  कागज़  पर  गिराने  हैं ।।।

हमें मालूम है अब हिज्र में ही दिन बिताने हैं ।।। हमें ये ज़ब्त और हिम्मत ये दोनो आज़माने हैं ।।। वही कुछ गीत जो तेरा तसव्वुर करके लिक्खे हैं ।।। वही सब गीत मुझको आज इन सबको सुनाने हैं ।।। इजाज़त शायरों को कब है ऐसे खुल के रोने की ।।। रिवाजे शायरी है अश्क़ कागज़ पर गिराने हैं ।।।

5 Love

हमारे बीच में जो फासला था ।।। मुझे उम्मीद से ज़्यादा मिला था ।।। भरोसा हर किसी पे कर रहा था ।।। मेरे सँग बस यही इक मसअला था ।।। जहाँ तक ये उजाला दिख रहा है ।।। वहीं तक वो हमारे सँग चला था ।।। सुनाना पड़ रहा है आज सबको ।।। वो सब कुछ उसके खातिर जो लिखा था ।।। वो मेरे हाल से वाकिफ़ नहीं अब ।।। जो मेरा हमनफ़स था, हमनवा था ।।। न जाने प्यार था या दोस्ती थी ।।। वो जो भी था मगर बेइन्तिहा था ।।। ✍imranBazpuri

#शायरी  हमारे  बीच  में जो फासला  था  ।।।
मुझे  उम्मीद से ज़्यादा मिला था ।।।

भरोसा  हर  किसी पे कर रहा था ।।।
मेरे सँग बस यही इक मसअला था ।।।

जहाँ तक ये उजाला दिख रहा है ।।।
वहीं तक वो हमारे सँग चला था ।।।

सुनाना पड़ रहा है आज सबको ।।।
वो सब कुछ उसके खातिर जो लिखा था ।।।

वो मेरे हाल से वाकिफ़ नहीं अब ।।।
जो मेरा हमनफ़स था, हमनवा था ।।।

न जाने प्यार था या दोस्ती थी ।।।
वो जो भी था मगर बेइन्तिहा था ।।।
✍imranBazpuri

हमारे बीच में जो फासला था ।।। मुझे उम्मीद से ज़्यादा मिला था ।।। भरोसा हर किसी पे कर रहा था ।।। मेरे सँग बस यही इक मसअला था ।।। जहाँ तक ये उजाला दिख रहा है ।।। वहीं तक वो हमारे सँग चला था ।।। सुनाना पड़ रहा है आज सबको ।।। वो सब कुछ उसके खातिर जो लिखा था ।।। वो मेरे हाल से वाकिफ़ नहीं अब ।।। जो मेरा हमनफ़स था, हमनवा था ।।। न जाने प्यार था या दोस्ती थी ।।। वो जो भी था मगर बेइन्तिहा था ।।। ✍imranBazpuri

6 Love

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