क्या लिखूँ
क्या लिखूँ तुझे आज मैं
मेरी यादों की शाम, खाली - खाली सी गयी
लिखा ना गया मुझसे आज कुछ
कलम की स्याही पन्ने पर, खाली - खाली सी कुछ
रोक भी ना पायीं ,दिल की दाहाण
आखों में चुभती अश्रु की धार,खाली - खाली सी गयी
क्या लिखूँ तुझे आज मैं
मेरी यादों की शाम,खाली - खाली सी गयी
दहल उठा जहाँ corona virus🦠😷से
सारी बदली इंसानियत,इस महामारी से
क्या लिखूँ प्रलय तेरे हर प्रहार से
मेरे बरसों की कमाई मेहनत
टूटती जीवन की सासों की तड़पन,
शरीर से निकलती रुह,खाली - खाली सी गयी
क्या लिखूँ तुझे आज मैं
मेरी यादों की शाम,खाली - खाली सी गयी
©Raonak1
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