Khwahish Syed

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ये सर्द मौसम.. ये गीली बारिशें.. तेरा ताबिश भीगा बदन .. और ये माहौली जवानी ... हाए, मैं शर्म से पानी पानी...!! वो कतरा गिरा जब गेसू से चश़्म तक .. साँसें भीगे मेरी जले लब-ए-शफ़क.. तौबा ये सीने की जलन ...

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टूटते रिश्तों को देख ख़याल आया..

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जहां में खुश नुमा नज़ारे और भी है.. मगर ये बारिश जमीं को बहुत अज़ीज़ है... #gif

#muhbbat #barish #ahsas #Gif  जहां में खुश नुमा नज़ारे और भी है..
मगर ये बारिश जमीं को बहुत अज़ीज़ है... #gif

ये सर्द मौसम.. ये गीली बारिशें.. तेरा ताबिश भीगा बदन .. और ये माहौली जवानी ... हाए, मैं शर्म से पानी पानी...!! वो कतरा गिरा जब गेसू से चश़्म तक .. साँसें भीगे मेरी जले लब-ए-शफ़क.. तौबा ये सीने की जलन ...

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मिट्टी का पुतला ढह मैदान हो गया .. ख़ौफ का वो घर अब मसान हो गया..।। रुख़ बदल के ख़ुद रिश्ता ये कहता है .. तेरा इब्न ही अब तेरा मेहमान हो गया..।। मेरे चाहने वालों में कई खंजर थे शामिल .. मेरी पीठ पीछे हर कोई बईमान हो गया.. ।। औरों से क्या गिले.. मैं अपने साये से परेशां हूँ.. अहबाब था एक वक़्त, ये भी शैतान हो गया..।। ज़िदगी ख़त्म हो,दिल का दौरा लगे बस, ज़ार ज़ार धड़कनों को बहुत नुकसान हो गया..।।

 मिट्टी का पुतला ढह मैदान हो गया .. 
ख़ौफ का वो घर अब मसान हो गया..।।

रुख़ बदल के ख़ुद रिश्ता ये कहता है .. 
तेरा इब्न ही अब तेरा मेहमान हो गया..।।

मेरे चाहने वालों में कई खंजर थे शामिल .. 
मेरी पीठ पीछे हर कोई बईमान हो गया.. ।।

औरों से क्या गिले.. मैं अपने साये से परेशां हूँ.. 
अहबाब था एक वक़्त, ये भी शैतान हो गया..।।

ज़िदगी ख़त्म हो,दिल का दौरा लगे बस, 
ज़ार ज़ार धड़कनों को बहुत नुकसान हो गया..।।

मिट्टी का पुतला ढह मैदान हो गया .. ख़ौफ का वो घर अब मसान हो गया..।। रुख़ बदल के ख़ुद रिश्ता ये कहता है .. तेरा इब्न ही अब तेरा मेहमान हो गया..।। मेरे चाहने वालों में कई खंजर थे शामिल .. मेरी पीठ पीछे हर कोई बईमान हो गया.. ।।

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टूटते रिश्तों को देख ख़याल आया .. आज सामने फ़िर एक सवाल आया ..।। बैठ मेरे पास किताब घंटों रोती रही.. कलम को आज क्यूँ इतना मलाल आया..।। रात के सिसकते सन्नाटे ने भी पूछा ... तेरी ख़ामोशी को क्यूँ बेवजह ज़लाल आया..।।

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