Gulshad Raza

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अधूरी मोहब्बत। जिंदगी के तजुर्बे। धोखा खाया इंसान।इंतजार उसका आज भी है।

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White कौन था जो मिरे एहसास को रौशन करता उम्र भर सिर्फ़ मेरा दिल ही जला है मुझ में - मसूदा हयात ©Gulshad Raza

#cg_forest #SAD  White कौन था जो मिरे एहसास को रौशन करता


उम्र भर सिर्फ़ मेरा दिल ही जला है मुझ में



- मसूदा हयात

©Gulshad Raza

#cg_forest

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#cg_forest #SAD  White कौन था जो मिरे एहसास को रौशन करता


उम्र भर सिर्फ़ मिरा दिल ही जला है मुझ में




- मसूदा हयात

©Gulshad Raza

#cg_forest

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White अपने हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं - आसी उल्दनी ©Gulshad Raza

#milan_night  White अपने हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को

मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं 



- आसी उल्दनी

©Gulshad Raza

#milan_night

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White अपनी उम्र और पैसों पर कभी घमंड मत करना क्योंकि जो चीजें गिनी जा सके वो यकीनन खत्म हो जाती है ©Gulshad Raza

#car  White अपनी उम्र और पैसों पर कभी 
घमंड मत करना 

क्योंकि जो चीजें गिनी जा सके वो
 यकीनन खत्म हो जाती है

©Gulshad Raza

#car

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White हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़ फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले ©Gulshad Raza

#Dosti  White हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले

©Gulshad Raza

#Dosti

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जो यादे मुस्त़फा से दिल को बहलाया नहीं करते हक़ीक़त में वोह लुत्फ़े ज़िन्दगी पाया नहीं करते यह दरबारे मुह़म्मद है यहां मिलता है बिन मांगे अरे नादां यहां दामन को फैलाया नहीं करते सजा ले दिल की दुनिया दाग़हा-ए-इ़श्क़े अह़मद से यह ऐसे फूल हैं खिल के मुरझाया नहीं करते जगह पाई है क़िस्मत से जिन्होंने कूए त़यबा में वह ज़र्रा चांद तारों से भी शरमाया नहीं करते यह है दरबार आक़ा का यहां अपनों का क्या कहना यहां से हाथ खाली ग़ैर भी जाया नहीं करते हबीबे किब्रिया की शाने रह़मत तो ज़रा देखो सित़म सहते तो हैं लेकिन सित़म ढाया नहीं करते ! ©Gulshad Raza

#ramadan  जो यादे मुस्त़फा से दिल को बहलाया नहीं करते

हक़ीक़त में वोह लुत्फ़े ज़िन्दगी पाया नहीं करते

यह दरबारे मुह़म्मद है यहां मिलता है बिन मांगे

अरे नादां यहां दामन को फैलाया नहीं करते

सजा ले दिल की दुनिया दाग़हा-ए-इ़श्क़े अह़मद से

यह ऐसे फूल हैं खिल के मुरझाया नहीं करते

जगह पाई है क़िस्मत से जिन्होंने कूए त़यबा में

वह ज़र्रा चांद तारों से भी शरमाया नहीं करते

यह है दरबार आक़ा का यहां अपनों का क्या कहना

यहां से हाथ खाली ग़ैर भी जाया नहीं करते

हबीबे किब्रिया की शाने रह़मत तो ज़रा देखो

सित़म सहते तो हैं लेकिन सित़म ढाया नहीं करते !

©Gulshad Raza

#ramadan

15 Love

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