ट्रेन आयी और चली गई
हर बार की तरह
पर इस बार
कभी आषाढ़ ने झुलसाया
कभी सावन ने भिंगोया
तो कभी पूस ने कंपकंपाया
बसंत आया हीं था
कि ट्रेन ने भिसिल बजा दी
शहर को जाने वाली ट्रेन
ट्रेन आई और चली गई
यादों की ट्रेन
अक्सर प्लेटफार्म नंबर 1 पर आती है।
रिश्ता
रिश्वत नहीं
जीने का जरिया है
परस्पर विश्वास
पुल बनाते हैं
परस्पर त्याग
स्तंभ होते
रिश्ता
बंधन नहीं
मुक्ति का मार्ग है
रिश्ता रिसना नहीं चाहिए
-Roshan
मैं जा रहा हूं
लौटने का मन हो तो आ जाना
मैं रिश्ता वैसी हीं छोड़े जा रहा हूं
तुम्हें तोड़ना हो तो तोड़ लेना
रिश्ता टूटने की आवाज़ मुझे अच्छी नहीं लगती
अपना ख्याल रखना
किचु किचु
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