Eid Mubarak बेशर्मी
बेगैरत, बेशरम या बेहया ,हो गए हो तुम।
आदमी कि जानवर, क्या हो गए हो तुम।।
मांगते,छीनते और लूटते - दहेज के दानव,
क्या लगता है,अमीरी के खुदा हो गए हो तुम।
चंद रुपयों की लालच में, साख खो बैठे हो।
अपनी ही औकात, अपने आप खो बैठे हो।।
देने वाले भी बेशरम , नही है : कम तुमसे,
दहेज की आग में, उम्मीदे लाख खो बैठे हो।।
एहमियत अपनी जान के , इंतजाम बेहतर रखिए।
दहेजखोरो को,नज़रअंदाज करने का; असर रखिए।।
गिनतियों में है , जिनको गिन ;नही पा रहे है लोग,,
इंसानो की जो गिनती है ,उनपे अपनी नज़र रखिए।।
सुशील
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here