Sushil Yadav

Sushil Yadav Lives in Gauriganj, Uttar Pradesh, India

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मस अला है कि दिल की बात को जुबा पे लाता हूँ बुरा लग जाता है लोगो को मैं बोल ज्यादा जाता हूं हार जाता हूं दिल जीतने में फरेबी हो नही पाता मैं झूठ दरकिनार करता हूँ और हक़ीक़त बतलाता हूँ ©Sushil Yadav

#कविता #Memories  मस अला है कि दिल की बात को जुबा पे लाता हूँ
बुरा लग जाता है लोगो को मैं बोल ज्यादा जाता हूं

हार जाता हूं दिल जीतने में फरेबी हो नही पाता मैं
झूठ दरकिनार करता हूँ और हक़ीक़त बतलाता हूँ

©Sushil Yadav

हक़ीक़त #Memories

13 Love

मुझे जो मिलना था वो ही मिला तुम मुझसे दूर हुए तो क्या गिला कल तलक था खुशियों का मेला जिंदगी में आज से बस तन्हाइयो का सिलसिला ©Sushil Yadav

#कविता #BookLife  मुझे जो मिलना था वो ही मिला
तुम मुझसे दूर हुए तो क्या गिला

कल तलक था खुशियों का मेला जिंदगी में
आज से बस तन्हाइयो का सिलसिला

©Sushil Yadav

मेला #BookLife

8 Love

भले गुज़र गया है एक महीना;इसी महीने पर दिन नही गुज़रता तुम्हारे बिन; सही में जब से मिलने लगे हो तुम हर शाम मुझे साँसों की कीमत जान गया हूँ जिंदगी में ©Sushil Yadav

#कविता  भले गुज़र गया है एक महीना;इसी महीने
पर दिन नही गुज़रता तुम्हारे बिन; सही में
जब से मिलने लगे हो तुम हर शाम मुझे
साँसों की कीमत जान गया हूँ जिंदगी में

©Sushil Yadav

लम्हे

12 Love

धूप

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जवाँ वो आठ की उम्र में भी हो जाता है। जब निर्णय लेके खुद, वो सामने आता है।। आलसी, लापरवाह और गैरजिम्मेदार तो वो है, जो बुजुर्गों पे घर छोड़, पैसे कमाता है।। This is conditional

#Silence  जवाँ वो आठ की उम्र में भी हो जाता है।
जब निर्णय लेके खुद, वो सामने आता है।।

आलसी, लापरवाह और गैरजिम्मेदार तो वो है,
जो बुजुर्गों पे घर छोड़, पैसे कमाता है।।




This is conditional

#Silence

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Eid Mubarak बेशर्मी बेगैरत, बेशरम या बेहया ,हो गए हो तुम। आदमी कि जानवर, क्या हो गए हो तुम।। मांगते,छीनते और लूटते - दहेज के दानव, क्या लगता है,अमीरी के खुदा हो गए हो तुम। चंद रुपयों की लालच में, साख खो बैठे हो। अपनी ही औकात, अपने आप खो बैठे हो।। देने वाले भी बेशरम , नही है : कम तुमसे, दहेज की आग में, उम्मीदे लाख खो बैठे हो।। एहमियत अपनी जान के , इंतजाम बेहतर रखिए। दहेजखोरो को,नज़रअंदाज करने का; असर रखिए।। गिनतियों में है , जिनको गिन ;नही पा रहे है लोग,, इंसानो की जो गिनती है ,उनपे अपनी नज़र रखिए।। सुशील

#बेशरम #thought  Eid Mubarak  बेशर्मी

बेगैरत, बेशरम या बेहया ,हो गए हो तुम।
आदमी कि जानवर, क्या हो गए हो तुम।।
मांगते,छीनते और लूटते - दहेज के दानव,
क्या लगता है,अमीरी के खुदा हो गए हो तुम।


चंद रुपयों की लालच में, साख खो बैठे हो।
अपनी ही औकात, अपने आप खो बैठे हो।।
देने वाले भी बेशरम , नही है : कम तुमसे,
दहेज की आग में, उम्मीदे लाख खो बैठे हो।।


एहमियत अपनी जान के , इंतजाम बेहतर रखिए।
दहेजखोरो को,नज़रअंदाज करने का; असर रखिए।।
गिनतियों में है , जिनको गिन ;नही पा रहे है लोग,,
इंसानो की जो गिनती है ,उनपे  अपनी नज़र रखिए।।

सुशील
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