Ramji Mishra

Ramji Mishra Lives in Sitapur, Uttar Pradesh, India

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वो चोर

वो चोर

Sunday, 3 December | 08:04 pm

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सिर्फ प्रेम.... रामजी मिश्र 'मित्र'| अब हाय पपिहरा बन बिलख रहा, हर बूंद गिराई इतर-उतर, मैं चातक चाह तड़पता रहा, वह मचल रही हर बदली पर। पा न सका तुमको पाकर भी, पर मेरा यह अपराध नहीं है। फिर भी रिश्तों में श्रेष्ठ तुम्हीं हो, कहता मेरा प्रेम यही है।। तन-मन जीवन सब अर्पित कर, याचक बन कुछ मांग रहा हूं, बरसा दो वह प्रेम सुधा बदली, जिस हेतु प्रिये मैं तड़प रहा हूं। दिखती हो हर पल तुम मुझको, फिर ऐसे क्यों ढूंढ रहा हूं। यदि मैं निश्चल प्रेम पथिक हूं, तब कर्तव्यों से विमूढ़ कहां हूं।। अब जीवन भी बसता तुम में, फिर कैसे मैं जी पाऊंगा, अगर तड़प ऐसी ही भोगी तो सावन नहीं बिताऊंगा। तो सावन नहीं बिताऊंगा... तो सावन नहीं बिताऊंगा...! -राम जी मिश्र ©Ramji Mishra

#कविता #paper  सिर्फ प्रेम....
रामजी मिश्र 'मित्र'| 

अब हाय पपिहरा बन बिलख रहा, हर बूंद गिराई इतर-उतर,
मैं चातक चाह तड़पता रहा, वह मचल रही हर बदली पर।
पा न सका तुमको पाकर भी, पर मेरा यह अपराध नहीं है।
फिर भी रिश्तों में श्रेष्ठ तुम्हीं हो, कहता मेरा प्रेम यही है।।

तन-मन जीवन सब अर्पित कर, याचक बन कुछ मांग रहा हूं,
बरसा दो वह प्रेम सुधा बदली, जिस हेतु प्रिये मैं तड़प रहा हूं।
दिखती हो हर पल तुम मुझको, फिर ऐसे क्यों ढूंढ रहा हूं। 
यदि मैं निश्चल प्रेम पथिक हूं, तब कर्तव्यों से विमूढ़ कहां हूं।। 

अब जीवन भी बसता तुम में, फिर कैसे मैं जी पाऊंगा, 
अगर तड़प ऐसी ही भोगी तो सावन नहीं बिताऊंगा।

तो सावन नहीं बिताऊंगा... तो सावन नहीं बिताऊंगा...!
-राम जी मिश्र

©Ramji Mishra

#paper

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#कविता

मेरी कविता की लाइने विदेशों में भी प्रकाशित हुई हैं जिनमें अमेरिका जैसा देश शामिल रहा है।

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आशिक क्या जाने इश्क किसे कहते हैं, वह बेचारा तो इश्क करना जानता है! ©Ramji Mishra

#कोट्स  आशिक क्या जाने इश्क किसे कहते हैं,
वह बेचारा तो इश्क करना जानता है!

©Ramji Mishra

आशिक क्या जाने इश्क किसे कहते हैं, वह बेचारा तो इश्क करना जानता है! ©Ramji Mishra

9 Love

तन-मन जीवन सब अर्पित कर, याचक बन कुछ मांग रहा हूं, बरसा दो वह प्रेम सुधा बदली, जिस हेतु प्रिये मैं तड़प रहा हूँ।

 तन-मन जीवन सब अर्पित कर, याचक बन कुछ मांग रहा हूं,
बरसा दो वह प्रेम सुधा बदली, जिस हेतु प्रिये मैं तड़प रहा हूँ।

तन-मन जीवन सब अर्पित कर, याचक बन कुछ मांग रहा हूं, बरसा दो वह प्रेम सुधा बदली, जिस हेतु प्रिये मैं तड़प रहा हूँ।

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कौन कहता है सावन हरा भरा होता है सावन को फिर देखो इश्क की प्यासी निगाहों से मैंने देखा मुझे तो सूखा ही दिखा

 कौन कहता है सावन हरा भरा होता है सावन को फिर देखो
इश्क की प्यासी निगाहों से मैंने देखा मुझे तो सूखा ही दिखा

कौन कहता है सावन हरा भरा होता है सावन को फिर देखो इश्क की प्यासी निगाहों से मैंने देखा मुझे तो सूखा ही दिखा

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