तुझे सोचूं तो पहलू से सरक जाता है दिल मेरा, मैं दिल पे हाथ रखकर धड़कनों को थाम लेता हूँ। हाल-ए-दिल तो खुल चुका है हर शख्स पर, हाँ मगर इस शहर में इक बेखबर भी देखा है। मोहब्बत की गवाही अपने होने की ख़बर ले जा, जिधर वो शख़्स रहता है मुझे ऐ दिल उधर ले जा। इक छोटी सी हसरत है इस दिल-ए-नादान की, कोई चाह ले इस कदर कि खुद पर गुमान हो जाए।
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