@π!k€✓

@π!k€✓ Lives in Nagpur, Maharashtra, India

100k

  • Latest
  • Popular
  • Video

संकट आया , भिडो ना उससे मायुसी क्यू ये छायी हैं नही अकेले , लाखो हैं जो चुभे हैं पथ अकल आई हैं शांत शांत ओर मंद मंद क्यू किर किर जो तुम करते थे अभिमान नही था, शून्य तेज आगे से बोला करते थे नफ्रत हैं तुझे सबसे फिर भी दंड स्वयम को क्यो देता. शांत सही , पर तांडव भितर शितल हो भितर मेधा ! चल मान लिया , ले सब हैं लीचड सब हैं पापी , सब झुठे खुद को समझाले अवतारी क्या तेरे करम हैं कम फुटे ? पुण्य आतमा , तेरी साधना खुद से ज्यादा दूजो पर.... प्रेम भी ज्यादा , क्रोध भी ज्यादा दोनो ले अा कंधो पर दिलं , दिमाग का चहेरा दर्पण इतना तुझको समझा हैं छुपाले कितना नही छिपता फिर गाव मे होती चर्चा हैं.. शांत ही सही नहि जरुरी रोज रजामंद होना हैं सौम्यता रख तू भितर अपने अर्ध चांद खुश होना हैं काल काल को कोसना क्यू लिखा किया ही हैं अपना तेजकल्प सी बुद्धी से तू वर्तमान की कर रचना..... #सत्यसाधक ©@π!k€✓

#सत्यसाधक #moonbeauty  संकट आया , भिडो ना उससे
मायुसी क्यू ये छायी हैं
नही अकेले , लाखो हैं जो
चुभे हैं पथ अकल आई हैं

शांत शांत ओर मंद मंद क्यू
किर किर जो तुम करते थे
अभिमान नही था, शून्य तेज
आगे से बोला करते थे

नफ्रत हैं तुझे सबसे फिर भी
दंड स्वयम को क्यो देता.
शांत सही , पर तांडव भितर 
शितल हो भितर मेधा !

चल मान लिया , ले सब हैं लीचड
सब हैं पापी , सब झुठे
खुद को समझाले अवतारी
क्या तेरे करम हैं कम फुटे ?

पुण्य आतमा , तेरी साधना
खुद से ज्यादा दूजो पर....
प्रेम भी ज्यादा , क्रोध भी ज्यादा
दोनो  ले अा कंधो पर

दिलं , दिमाग का चहेरा दर्पण
इतना तुझको समझा हैं
छुपाले कितना नही छिपता 
फिर गाव मे होती चर्चा हैं..

शांत ही सही नहि जरुरी
रोज रजामंद  होना हैं
 सौम्यता रख तू भितर अपने
अर्ध चांद खुश होना हैं

काल काल को कोसना क्यू
लिखा किया ही हैं अपना
तेजकल्प सी बुद्धी से तू
वर्तमान की कर रचना.....

#सत्यसाधक

©@π!k€✓

#MessageOfTheDay कभी कोई किसिका गर अहित नही चाहता तो प्रकृती उसका अहित करने के लिये कई हितचिंतको को भेज देती हैं , जिससे होता ये हैं की जिस्ने किसिका अहित नही चाहा वो भी ना चाह कर भी खुद के हित के लिये दुसरो का अहित सोचने पर मजबूर हो जाता है , हालाकी उसकी प्रवृत्ती ही ऐसी होती हैं की किसिका कुछ बिगाड पाने की सोच भर से वो खुद को कटघरे मे खडा कर देता हैं.... ऐसे ही विचित्र प्राणीयो मे से एक मैं भी हु #सत्यसाधक ©@π!k€✓

#सत्यसाधक #Messageoftheday  #MessageOfTheDay कभी कोई किसिका गर अहित नही चाहता 
तो प्रकृती उसका अहित करने के लिये 
कई हितचिंतको को भेज देती हैं , जिससे होता ये हैं की जिस्ने किसिका अहित नही चाहा वो भी ना चाह कर भी खुद के हित के लिये दुसरो का अहित सोचने पर मजबूर हो जाता है , हालाकी  उसकी प्रवृत्ती ही ऐसी होती हैं की  किसिका कुछ बिगाड पाने की सोच भर से वो खुद को कटघरे मे खडा कर देता हैं....

ऐसे ही विचित्र प्राणीयो मे से एक मैं भी हु


#सत्यसाधक

©@π!k€✓

देव तुल्य जो समझ गया है आशा अपेक्षा एक नहीं भोग विलासी , कुटुंब त्यागे मन की दुर्दशा करे वही नीती , नाद, नवं युग का जातक सबको सर सन्मान मिले प्राप्ती हो उसे विष की फिर भी सबको अमृत पान मिले #सत्यसाधक ©@π!k€✓

#सत्यसाधक #droplets  देव तुल्य जो समझ गया है
आशा अपेक्षा एक नहीं


भोग विलासी , कुटुंब त्यागे
मन की दुर्दशा करे  वही


नीती , नाद, नवं युग का जातक
सबको सर सन्मान मिले


प्राप्ती हो उसे विष की फिर भी
सबको अमृत पान मिले


#सत्यसाधक

©@π!k€✓

#droplets

13 Love

उठा लीया हो लुफ्त जितना, उतना खुद को भिगोना हैं सासे ली जितनी मजे मे, महेनत मे उसे पिरोना हैं नही गवांना जितना भी हैं, टीका समय जो सोना हैं खुद को यु धोखे मे रखं कर, ना करना काम घिनोना हैं. #सत्यसाधक ©@π!k€✓

#सत्यसाधक #Light  उठा लीया  हो लुफ्त जितना, 
उतना खुद को भिगोना हैं

सासे ली जितनी मजे मे,  
महेनत मे उसे पिरोना हैं

नही गवांना जितना भी हैं,  
टीका समय जो सोना हैं

खुद को यु धोखे मे रखं कर, 
ना करना काम घिनोना हैं.

#सत्यसाधक

©@π!k€✓

#Light

11 Love

हर बार शायरी या कोई कविता हो ये जरुरी नही होता. कभी कभी बातो को बातो की तरहा कहा जाए तो बहेतर होता हैं... कुछ ही देर पहेले पंखे को बडे भाई का स्कार्फ बांध कर खुद को लटकाने की कोशिश कर चुका हुं . जो नाकमयाब साबित हुई... हालाकी इस बार तयारी पुरी थी , हिम्मत भी साथ दे रही थी.... पर घर वालो ने रूम को दरवाजे नाहि लगाएं , इसिलिये खेलं बिगड गया.... पर अच्छा ही हुआ , बिगड गया.... कुछ पलो की हताशा मे ....कुछ फालतू सा कर बैठता... फिलहाल घर की एक मजबूत दिवारो मे से एक मैं हुं....... ये अहंकार नहि सत्यता हैं..... ओर मेरी तबीयत मेरा बडा साथ दे रही है जिस्के चलते मैं कुछ दिनो से बेड पर ही हुं.... स्थिती अंबानी से कम नहीं हैं वैसे.... घरवालो को कभी दुःख क्या ओर कित्ना हैं इसका बाखान करते नही देखा... प्रकृती को धन्यवाद मुझे जीवन दान देने हेतू.... पर ये अंतिम प्रयास था खुद को समाप्त करने का... जो विफल हुआ. अब सारी समास्याओको विफल करने के सीवाय कोई पर्याय नहि,... मृत्यू भी नही. #सत्यसाधक ©@π!k€✓

#सत्यसाधक #SuperBloodMoon  हर बार शायरी या कोई कविता हो ये जरुरी नही होता. कभी कभी बातो को बातो की तरहा कहा जाए  तो बहेतर होता हैं...
कुछ ही देर पहेले पंखे को बडे भाई का स्कार्फ बांध कर खुद को लटकाने की कोशिश कर चुका हुं . जो नाकमयाब साबित हुई... हालाकी इस बार तयारी पुरी थी , हिम्मत भी साथ दे रही थी.... पर घर वालो ने रूम को दरवाजे नाहि लगाएं , इसिलिये खेलं बिगड गया....
पर अच्छा ही हुआ , बिगड गया....  कुछ पलो की हताशा मे ....कुछ फालतू सा कर बैठता...  फिलहाल घर की एक मजबूत दिवारो मे से एक मैं हुं....... ये अहंकार नहि सत्यता हैं..... ओर मेरी तबीयत मेरा बडा साथ दे रही है जिस्के चलते मैं कुछ दिनो से बेड पर ही हुं.... स्थिती अंबानी से कम नहीं हैं वैसे....
घरवालो को कभी दुःख क्या ओर कित्ना हैं इसका बाखान करते नही देखा...

प्रकृती को धन्यवाद  मुझे जीवन दान देने हेतू.... पर ये अंतिम प्रयास था खुद को समाप्त करने का... जो विफल हुआ.

अब सारी समास्याओको  विफल करने के सीवाय कोई पर्याय नहि,... मृत्यू भी नही.

#सत्यसाधक

©@π!k€✓

गुजरिश की हैं मालीक से मेरे प्यारो को मुझसे दूर ही सही पर खुश रखना दुःख के घूट जितने पी रहा हुं न चाहता, ओर कोई इतना सहे #सत्यसाधक ©@π!k€✓

#सत्यसाधक #Corona_Lockdown_Rush  गुजरिश की हैं मालीक से 
मेरे प्यारो को मुझसे दूर ही सही
पर खुश रखना


दुःख के घूट जितने पी रहा हुं
न चाहता, ओर कोई इतना सहे


#सत्यसाधक

©@π!k€✓
Trending Topic