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writer poet singer... Divya Agarwal

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#tumharisulu #rafu

#rafu #tumharisulu @vidyabalan

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मुश्किलें सबकी ज़िन्दगी में दस्तक देती है, बराबर और प्रतिदिन। पर उन खुशनसीबों की मुश्किलें थोड़ी कम हो जाती है, जिनके पास उन्हें सुनने के लिए कोई हो।

#Quotes  मुश्किलें सबकी ज़िन्दगी में दस्तक देती है, बराबर और प्रतिदिन। पर उन खुशनसीबों की मुश्किलें थोड़ी कम हो जाती है, जिनके पास उन्हें सुनने के लिए कोई हो।

मुश्किलें सबकी ज़िन्दगी में दस्तक देती है, बराबर और प्रतिदिन। पर उन खुशनसीबों की मुश्किलें थोड़ी कम हो जाती है, जिनके पास उन्हें सुनने के लिए कोई हो।

2 Love

#Music

aaj jane ki zid na karo

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आज भी उस किताबों के पन्ने खुले पड़े है, जिसमे मुझे तेरी कहानी लिखनी थी, शायद अपने साथ तू मेरे लफ्ज़ भी ले गयी।

आज भी उस किताबों के पन्ने खुले पड़े है, जिसमे मुझे तेरी कहानी लिखनी थी, शायद अपने साथ तू मेरे लफ्ज़ भी ले गयी।

2 Love

A drizzle wetting the face and Wind in the air An armchair rocking the thoughts with a Cup of coffee churning me bare Some prices of paper ruffling by The ink in the pen ready to cry A lost love like a thorn in the heart Our happy moments running without care A tear and solitude is something I have To complete my ideal day A writer's heaven A poet's dare

 A drizzle wetting the face and 
Wind in the air
An armchair rocking the thoughts with a 
Cup of coffee churning me bare
Some prices of paper ruffling by
The ink in the pen ready to cry
A lost love like a thorn in the heart
Our happy moments running without care
A tear and solitude is something I have 
To complete my ideal day
A writer's heaven 
A poet's dare

how do we writers make a mood to write..?

3 Love

शायद एक नाम की कमी थी उस रिश्ते को बेचैनी आज भी थी, ये बात अलग है वो ज़ाहिर न कर पाती थी, मोहब्बत उतनी ही थी, पर वो क़बूल न कर पाती थी, कितनी भी मशरूफ हो जाये अपने दिन रात में पर उनकी यादों को दिल मे आने से रोक न पाती थी, हक़ समझती थी उनपे दिलोजान से पर जमा नही पति थी, उनकी हर एक बात पत्थर के समान दिल मे अंकित हो जाती पर अपनी बातों का मोल बता नही पाती थी क्या जाने क्या रोकता था उसे, अपने हसीन सपनों को उनसे साझा करने से

शायद एक नाम की कमी थी उस रिश्ते को बेचैनी आज भी थी, ये बात अलग है वो ज़ाहिर न कर पाती थी, मोहब्बत उतनी ही थी, पर वो क़बूल न कर पाती थी, कितनी भी मशरूफ हो जाये अपने दिन रात में पर उनकी यादों को दिल मे आने से रोक न पाती थी, हक़ समझती थी उनपे दिलोजान से पर जमा नही पति थी, उनकी हर एक बात पत्थर के समान दिल मे अंकित हो जाती पर अपनी बातों का मोल बता नही पाती थी क्या जाने क्या रोकता था उसे, अपने हसीन सपनों को उनसे साझा करने से

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