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ये तूफ़ान,ये बारिशें कहां मेरा रास्ता रोक पाती है, इक तेरी ख़ामोशी मेरे गाल गीले कर जाती है। ज़ख्मों को बड़े करीने से सजाता हूं ज़ेहन में, मगर तेरी याद सब कुछ बेतरतीब कर जाती है। @ पीयू'प्रीत' ©pushpendra naruka
pushpendra naruka
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White मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है , मेरी कश्ती पतवारों ने ही डूबाई है । हर मौसम ने आज़माया है मुझे, मेरी हर शाख सावन ने जलाई है । क्यूं शिकवा करें तेरी बेवफ़ाई का 'प्रीत' ताउम्र दर्द ने वफ़ा निभाई है। @पीयू'प्रीत' ©pushpendra naruka
मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है, मेरी कश्ती पतवारों ने ही डुबाई है । हर मौसम ने आज़माया है मुझे, मेरी हर शाख सावन ने जलाई है । क्यूं शिकवा करें तेरी बेवफ़ाई का 'प्रीत' ताउम्र दर्द ने वफ़ा निभाई है । @पीयू'प्रीत' ©pushpendra naruka
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दिल से तेरी यादों के भंवर क्यूं नहीं जाते। नासूर बने हैं ज़ख़्म, भर क्यूं नहीं जाते ।। अब तो गुज़र चुके हैं मौसम कई 'प्रीत'। बंजर पड़े हैं खेत,संवर क्यूं नहीं जाते।। पीयू 'प्रीत' ©pushpendra naruka
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