Ajay Keshari

Ajay Keshari Lives in Patna, Bihar, India

पश्चिमी बिहार के एक छोटे शहर, डुमरांव में फरवरी 1957 में जन्म और वहीँ स्नातक तक शिक्षा. पुस्तकीय पढ़ाई में विशेष रूचि कभी नहीं, बल्कि जीवन में धंसकर उसे पढ़ने-समझने और उसके हर पल को जीने की अधिक ललक. डुमरांव की मिट्टी, उसकी भोजपुरी बोली, उसकी हवा की गंध मेरी स्मृति और मेरे अस्तित्व में व्याप्त. वर्त्तमान में पटना में ज़मीन-जायदाद के क्रय-विक्रय के व्यवसाय में संलग्न. लेखन से एक पेशेवर लेखक की तरह जुड़ाव नहीं. आस-पास घट रही घटनाओं, देश की राजनितिक उथल-पुथल तथा चारो ओर फैली हुई ज़िन्दगी की घमासान के बीच, लेखन स्थितियों के प्रति मेरी एक प्रतिक्रिया है

https://ajaykeshari.home.blog/

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

दिल धड़कता, आज भी है.. आज भी, तेरी याद है.. तुम नही हो, साथ पर, #धड़कन में तुम हो, आज भी.. सात फेरे लेकर भी, एक रिश्ता, घुटता रह गया.. तुमसे जो रिश्ता, था मेरा.. बीच राह, दम तोड़ दिया.. हो गए खामोश, सब है.. तुम भी मैं भी, इश्क़ भी.. पर धड़कनों में, आज भी तेरी याद है.. #अजय57 ©Ajay Keshari

#कविता #धड़कन #अजय57 #Health  दिल धड़कता,
आज भी है..
आज भी,
तेरी याद है..
तुम नही हो,
साथ पर,
#धड़कन में तुम हो,
आज भी..
सात फेरे लेकर भी,
एक रिश्ता,
घुटता रह गया..
तुमसे जो रिश्ता,
था मेरा..
बीच राह,
दम तोड़ दिया..
हो गए खामोश,
सब है..
तुम भी मैं भी,
इश्क़ भी..
पर धड़कनों में,
आज भी तेरी याद है..
#अजय57

©Ajay Keshari

#Health

18 Love

#कविता #अजय57  तेरी चिट्ठी आज भी,
है पड़े दराज़ में..
कर न पाया पोस्ट कभी था,
जो लिखे थे याद में..
जब कभी भी खोलता हूं,
मैं कभी दराज़ को..
हो जाती यादें हरी है,
जो गुज़ारे साथ थे..
अब तो मुझसे दूर बहुत हो,
हो बहुत ही दूर तुम..
यादें अब भी पास है तेरी,
तुम नही पर साथ हो..
#अजय57

©Ajay Keshari

तेरी चिट्ठी आज भी, है पड़े दराज़ में.. कर न पाया पोस्ट कभी था, जो लिखे थे याद में.. जब कभी भी खोलता हूं, मैं कभी दराज़ को.. हो जाती यादें हरी है, जो गुज़ारे साथ थे.. अब तो मुझसे दूर बहुत हो, हो बहुत ही दूर तुम.. यादें अब भी पास है तेरी, तुम नही पर साथ हो.. #अजय57 ©Ajay Keshari

105 View

#कविता #बचपन

#बचपन

148 View

#ज़र्द_पत्ते #कविता #अजय57  ज़र्द_पत्ते झड़ गए है,
आ गए पत्ते नए..
शरद के जाते ही मौसम,
ने है बदली रंग है..
मौसमें गुलज़ार है अब,
फिज़ा में फैली बहार है..
कोयल की कहीं कुक गूंजे,
कहीं गूंजे चिडियों की कलरव..
प्रकृति देखो हुई जवां है,
धरती ओढ़ी पीली चादर..
फ़ागुन ने मदहोश किया,
सब पर चढ़ी जवानी का रंग..
#अजय57

©Ajay Keshari
#कविता

86 View

#कविता

67 View

Trending Topic