Saurabh Thakkur

Saurabh Thakkur Lives in Bengaluru, Karnataka, India

Poetry Lover.

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जो हैं नहीं.. वो सब्र में नहीं !! जो हैं कहीं.. वो कद्र में नहीं !!

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वो सब्र में नहीं !!
जो हैं कहीं..
वो कद्र में नहीं !!

पूरक का नहीं.. हो परमात्मा का अर्चन..!! मूरत का नहीं.. हो नकरात्मा का विसर्जन..!!

#GaneshChaturthi #nojotohindi #shreeganesh #ganesha  पूरक का नहीं..
हो परमात्मा का अर्चन..!!
मूरत का नहीं..
हो नकरात्मा का विसर्जन..!!

पल पल तरसें थे, उस पल के लिये.. पल आया भी तो, दो पल के लिये.. सोचा था उस पल को बना लेंगें एक हसीन पल.. पर वो "पल" रुका भी तो, बस एक पल के लिये.. उस एक पल में कह अलविदा.. ले गए सारे पल, हमसें हर पल के लिये !!

#शायरी #nojotohindi #पल #Time #poem  पल पल तरसें थे, उस पल के लिये..
पल आया भी तो, दो पल के लिये..
सोचा था उस पल को बना लेंगें एक हसीन पल..
पर वो "पल" रुका भी तो, बस एक पल के लिये..
उस एक पल में कह अलविदा..
ले गए सारे पल, हमसें हर पल के लिये !!
#अयोध्या #संघर्ष #nojotohindi #Rammandir #sangharsh #Ayodhya  #संघर्ष

मैं बोलता गया हूं तो वो सुनता रहा खामोश... ऐसे भी मेरी हार हुई है कभी-कभी... - वसीम बरेलवी ---------------- मैं बोलता गया, और मेरे लफ्ज़ बिखरते रहे.. रात भर उसकी सांसों से टकराते हुए..!! सब कुछ ख़ामोश था, सिवाय उसके हाथों के.. जो बना रहे थे लकीरे रेत पर.. वही समुंदर के किनारे..!! रात ढलती गयी.. उजाला बढ़ता गया.. लकीरों का सफ़र.. तस्वीरों मे बदलता गया..!! वो अभी भी ख़ामोश है.. और मैं अभी भी हैरान हूँ.. रेत पे बनी उसकी तस्वीरों को.. मैं क्या पहचान दूँ ..!! शायद हार ही है, आज मेरी किस्मत मे उसके लिए.. कुछ उतार पाया था, लकीरों के निशान यहीं कही.. उसकी ज़िंदगी की तरह मिटा गयीं, उसकी तस्वीरों की कहानी.. इस समुंदर की लहरें अभी - अभी..!!

#अभी_अभी #कविता #nojotonews #abhiabhi #alone  मैं बोलता गया हूं तो वो सुनता रहा खामोश...
ऐसे भी मेरी हार हुई है कभी-कभी...
- वसीम बरेलवी
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मैं बोलता गया, और मेरे लफ्ज़ बिखरते रहे..
रात भर उसकी सांसों से टकराते हुए..!!
सब कुछ ख़ामोश था, सिवाय उसके हाथों के..
जो बना रहे थे लकीरे रेत पर.. 
वही समुंदर के किनारे..!!
रात ढलती गयी.. उजाला बढ़ता गया..
लकीरों का सफ़र.. तस्वीरों मे बदलता गया..!!
वो अभी भी ख़ामोश है.. और मैं अभी भी हैरान हूँ..
रेत पे बनी उसकी तस्वीरों को.. मैं क्या पहचान दूँ ..!!
शायद हार ही है, आज मेरी किस्मत मे उसके लिए.. 
कुछ उतार पाया था, लकीरों के निशान यहीं कही..
उसकी ज़िंदगी की तरह मिटा गयीं, 
उसकी तस्वीरों की कहानी..
इस समुंदर की लहरें अभी - अभी..!!
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