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Raushan Patel
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पंछी मेरे द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियां ........... छोटी सी नन्ही सी बहुत सयानी है गौरैया चीं - चीं कर शोर मचाती घर के आंगन में आ जाती कभी पानी में नहाती फिर पंख फैलाकर उड़ जाती.... थी अजीब सी चहचहाहट अब गायब हो रही है हम हो गए हैं इतने व्यस्त ये सब के बारे में सोचने का नहीं है वक्त पर्यावरण प्रेमियों को यह बात कचोटती है पर्यावरण मंत्रालय भी कुछ खास नहीं सोचती है विदेशी संस्कृति हम पर हो रहे हैं हावी प्राकृतिक विरासत से दूर . हो रहे हैं पीढ़ी भावी.... गौरैया को बचाने का अगर गंभीर कदम नहीं उठाई किसी दिन नन्हा गौरैया तस्वीरों में किसी दीवाल पर देगा लटका दिखाई जो भी हो सरकारी स्तर पर एक प्रयास हमें करना है घर के बालकनी छत पर दाना और पानी रखना है आसपास पेड़ पौधे लगाएंगे गौरैया को प्राकृतिक माहौल का एहसास कराएंगे हो सकता है इस छोटी पहल से फिर गोरैया आ जाएगी सुनाई देगा गौरैया का शोर पहले की तरह दिखेगा चारो ओर .. पढ़कर कैसी लगी हमारी यह पंक्तियां कुछ गलत हो तो आप कमेंट कर हमें अपनी भावनाओं से अवगत करा सकते हैं । धन्यवाद ⤴ ✍ Raushan Patel ©Raushan Patel
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प्राइवेट अस्पतालों का हो गया है ऐसा हाल पैसों के लिए मरीजों का बन गया खुद काल सर्व सुविधा था पटना का बहुत बड़ा अस्पताल दवाईयां और बिस्तर भी महंगे महँगा था इलाज मानवता का ढोंग रच कर बातें करते कर्तव्य पथ पर घटी है घटना अक्सर नेता हो या अफसर गरीब की बेबसी पीड़ाओं का कोलाहल होता है ऐसे अस्पतालों में उपचार के साथ पैसों का गंदा खेल होता है जो सौदा करते हैं लोगों की जान से आशा कैसे करें ऐसे धरती के भगवान से.....! ©Raushan Patel
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सोचता हूं तेरी अल्फाजों को किसी पन्ने पर उतार दूं .. बोल क्या तेरे चेहरे को यादगार बना दूं ! ©Raushan Patel
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